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Chhattisgarh teachers fake certificates : बीएड-डीएड के फर्जी प्रमाण पत्र से कर रहे थे शिक्षक की नौकरी, कोर्ट ने सुनाई 3-3 साल की सजा , 11 साल तक चली मामले की सुनवाई

 


Credit bhaskar 

गरियाबंद में 11 शिक्षकों की गई नौकरी D.Ed-B.Ed का लगाया था फर्जी सर्टिफिकेट, 3-3 साल की मिली सजा, 11 साल चली सुनवाई

गरियाबंद के मैनपुर फर्जी शिक्षाकर्मी भर्ती मामले में कोर्ट ने 11 शिक्षाकर्मियों को दोषी पाया। सभी को 3-3 साल की सजा और एक-एक हजार रुपए अर्थदंड लगाया गया। सभी दोषियों ने जमानत लेकर कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी करने वाले इस मामले की 11 साल तक सुनवाई चली। कोर्ट ने 26 गवाहों के बयान दर्ज किए थे।

बीएड-डीएड प्रमाण पत्र निकले फर्जी
साल 2008 में व्यापम से हुई भर्ती में बगैर D.Ed-B.Ed के अभ्यर्थियों को चयन परीक्षा में शामिल होने की पात्रता नहीं थी। आरोपियों ने परीक्षा के लिए भरे गए ऑनलाइन में डीएड करना बताया था। इसके बाद किसी तरह अपने आप को चयन सूची में शामिल भी करा लिया था। सत्यापन की बारी आई तो डीएड का फर्जी सर्टिफिकेट अटैच भी कर दिया, जिसे चयन समिति ने भी मान लिया था।

इन 11 फर्जी शिक्षाकर्मी ​​​​​​​में पिताम्बर साहू, योगेन्द्र सिन्हा, देव नारायण साहू, भेगेश्वरी साहू, हेमलाल साहू, दौलत राम साहू, संजय शर्मा, ममता सिन्हा, शंकर लाल साहू, अरविंद कुमार सिन्हा, शिव कुमार साहू का नाम शामिल है।

मामला दर्ज करने में लग गए थे दो साल
धमतरी जिले के चंदना निवासी आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार ने आरटीआई के तहत जानकारी निकाल कर 11 लोगों के द्वारा लगाए गए सर्टिफिकेट के फर्जी होने का खुलासा किया था। रायपुर एसपी के समक्ष अप्रैल 2010 को इसकी लिखित शिकायत दर्ज करवाया। मामले को रायपुर से गरियाबंद एसपी कार्यालय ट्रांसफर करने के बाद जांच नए सिरे से शुरू की गई।

राजनीतिक सरंक्षण के चलते मामला खींचता गया। आखिरकार 28 जनवरी 2012 को इस मामले में मैनपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था। मामले में 11 शिक्षाकर्मी समेत चयन समिति के 6 अफसरों को आरोपी बनाया गया था। कुछ अफसर व महिला कर्मियों ने अग्रिम जमानत कराया था, जबकि कुछ को जेल तक जाना पड़ा था

भर्ती में फर्जीवाड़ा के दूसरे मामले की सुनवाई भी अंतिम चरण में
व्यापम भर्ती के अलवा जनपद मैनपुर द्वारा 2005 से 2007 के बीच शिक्षाकर्मी की भर्ती की गई थी। इस भर्ती में भी चयन समिति ने नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई थी। बहुचर्चित इस भर्ती में स्वीकृत पद से अधिक कर्मियों की भर्ती के अलावा अंक अर्जित करने वाले सर्टिफिकेटों में फर्जीवाड़ा किया गया था।

2010 में ही मैनपुर थाने में एक और मामला दर्ज है जिसमें 23 लोगो को आरोपी बनाया गया है। इस मामले के फैसले भी जल्द आने वाले है। मैनपुर जनपद द्वारा हुए भर्ती में फर्जी दस्तावेज की श्रेणी में 129 शिक्षा कर्मी भी हैं। जिन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।

82 बर्खास्त जिसमें 2 ने वापस पा ली नौकरी
जनपद द्वारा नियुक्ति किए गए शिक्षाकर्मियों में जांच के बाद 82 लोगों को 2015 में बर्खास्त किया गया था। इनमें 5 किसी तरह स्टे ले आए। केवल 2 लोगों को वापस नौकरी मिली थी। नौकरी पाने वाले एक महिला शिक्षक का वेतन जनवरी 2023 से रोक दिया गया है, जबकि दूसरे की जांच पड़ताल जारी पर है।

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