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बैंक से कर्ज में मिलता है राम का नाम , काशी के इस अनोखे बैंक के बारे में जानिए .....

 


(News Credit by etvbharat)


दुनिया भर में धर्मनगरी के नाम से प्रसिद्ध व भारत के प्रचीनतम शहर काशी के गंगा तट पर आस्था की भी गंगा बहती है. जिसमें देश-विदेश के भक्त न सिर्फ डुबकी लगाने आते हैं, बल्कि अपनी आस्था को सहेज कर भी रखते हैं. बाबा विश्वनाथ की नगरी में एक अनूठा बैंक है, जो पैसे से नहीं, बल्कि राम नाम से चलता है.


वाराणसी: राम कहने को तो बेहद छोटा सा नाम है, लेकिन सिर्फ स्मरण मात्र से ही बड़े-बड़े बिगड़े काम बन जाते हैं. यहां तक कि जीवन के आखिरी बेला में भी इस नाम के स्मरण मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है. वैसे तो आप भगवान राम को भव्य मंदिरों में नमन किए होंगे. श्रद्धा के साथ सिर भी झुकाए होंगे, लेकिन आज हम आपको प्रभु श्रीराम के उस अद्भुत व अलौकिक स्थान पर लेकर चल रहे हैं, जिसे मंदिर नहीं, बल्कि राम के नाम के बैंक के रूप में जाना जाता है. यह अद्भुत स्थान शिव की नगरी काशी में स्थित है. बीते 95 सालों से काशी में राम के नाम से संचालित होने वाले अनोखे राम रमापति बैंक की खासियत और इसके अनोखेपन से हम आपको परिचित कराएंगे और बताएंगे कि राम के नाम के इस बैंक में बीते 95 सालों से एक दो नहीं, बल्कि 19 अरब से ज्यादा राम नाम का कर्ज बांटा जा चुका है. यहां सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि सात समंदर पार से सवा लाख राम नाम का कर्ज लेने के लिए भक्तों की कतार लगी रहती है और राम नाम के कर्ज को उठाकर इसे चुकाने के बाद भक्तों को बदले में मिलता है पुण्य फल तो आइए लेकर चलते हैं आपको राम नाम के इस अद्भुत बैंक में. जहां मैनेजर भी है, स्टॉप भी हैं और काम भी समयानुसार होते हैं.

8 माह 10 दिन के लिए मिलता है कर्ज: वैसे तो आपके मन में बैंक शब्द का नाम आते ही रुपये, पैसे, कर्ज और ब्याज आते होंगे. लेकिन आज हम आपको जिस बैंक में लेकर आए हैं. वह है तो बैंक लेकिन यहां पर रुपये का लेन-देन नहीं, बल्कि राम नाम का लेनदेन होता है. यहां पर ब्याज में मिलता है राम का नाम और ब्याज की रकम चुकाई जाने के बाद आपको 8 महीने 10 दिन के नियम के बाद वह सुकून शांति और मनोकामना की पूर्ति मिलती है. जिसके लिए आपने यह कर्ज लिया था. दरअसल, वाराणसी के डेढ़सी के पुल दशाश्वमेध इलाके के पास सकरी गलियों के अंदर यह अद्भुत बैंक स्थापित है. इस वर्ष इस बैंक को 95 साल पूरे हो चुके हैं और यहां खुद रामलला विराजमान हैं.अयोध्या के साथ ही काशी में भी कई सालों से रामलला विराजमान हैं. यहां आज भी अपने दर पर आने वाले हर भक्तों की मुराद को प्रभु पूरा करते हैं. लेकिन इसके लिए इस बैंक के कठिन नियमों के साथ भगवान राम के नाम का कर्ज लेना पड़ता है. जिसका प्रोसेस भी है और फॉर्म भी. बैंक की तरह कर्ज देने से पहले यहां तमाम नियम कानूनों के पेंच से भी आपको दो-चार होना पड़ेगा. या फिर यूं कह सकते हैं कि यहां पर कर्ज लेना इतना आसान नहीं है. यहां तो राम के नाम का कर्ज भी बहुत मुश्किल से मिलता है, क्योंकि इस कर्ज को भरने के बाद आपको बदले में भले रुपये पैसे की प्राप्ति न हो लेकिन आपका वर्तमान जीवन और अगला जीवन दोनों सुधर जाएगा. क्योंकि राम के नाम के कर्ज को चुकाने के बाद पुण्य की प्राप्ति होती है और वह पुण्य आपके इस लोक को और परलोक को दोनों को सुधारने का काम करेगा.

संचय है 19 अरब से ज्यादा राम नाम का धन: सबसे बड़ी बात यह है कि वाराणसी के इस अद्भुत और अलौकिक राम बैंक में पहुंचने के बाद आपको खुद एक अलग फिलिंग आएगी. क्योंकि अंदर घुसते ही संकट मोचन हनुमान की तस्वीर के साथ राम रमापति बैंक का बोर्ड आपको दिखेगा. उसके बाद दिखेगी पीले और लाल कपड़ों में बंधी बड़ी-बड़ी पोटलिया. चारों तरफ बैंक में सिर्फ यह पोटली ही नजर आएंगी या भगवान की तस्वीरें. यह वही पोटलिया हैं जो भगवान राम के नाम के कर्ज से पटी पड़ी हैं. यदि वर्तमान समय में बात की जाए तो वाराणसी के इस राम रमापति बैंक में कब तक 19 अरब 39 करोड़ 29 लाख 25 हजार राम नाम के धन का संचय किया जा चुका है और इसी लंबे चौड़े राम नाम की रकम से लोगों को कर्ज बांटा जाता है.

कर्ज लेने को निभाना होता है कठिन नियम: कर्ज बांटने को लेकर भी काफी कड़े नियम है. सवा लाख राम नाम के कर्ज का अनुष्ठान उठाने के लिए भक्तों को यहां आना पड़ता है. एक फॉर्म भरना पड़ता है और फॉर्म भरने के साथ यह शपथ पत्र भी देना होता है कि बैंक के नियमों का पालन करते हुए राम नाम के लेखन का कार्य शुरू किया जाएगा. इसके लिए आठ माह दस दिन तक रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे से 7 बजे के बीच उठना पड़ता है और 250 दिन लगातार हर रोज सूरज की पहली किरणों से पहले उठकर नहाकर स्वच्छ कपड़ों के साथ राम नाम के लेखन का कार्य करना होता है.

कागज दवात संग मिलती है खास कलम: सबसे बड़ी बात है कि राम नाम के लेखन की सामग्री चाहे वह दवात हो चाहे लेखन के लिए सफेद कागज या फिर लेखन शुरू करने के लिए इस्तेमाल होने वाली लकड़ी जो किलविच की लकड़ी होती है. यह सारी सामग्री राम रमापति बैंक की तरफ से ही खाताधारक उपलब्ध कराई जाती है. आपको अपनी राशि के तिथि और समय के अनुसार बैंक के नियमों का फॉर्म भरना होता है. इसके बाद इन कड़े नियमों का पालन भी करना होता है प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा व किसी के झूठे भोजन को त्यागना पड़ता है. उसके बाद हर रोज सुबह 250 दिनों तक ब्रह्म मुहूर्त में नहा कर जल्दी बैठ कर प्रतिदीन 500 राम नाम का लेखन करना होता है. राम नाम के लेखन के बाद 250 दिनों पर जब यह पुस्तक भर जाती है. इसे बैंक में लाकर जमा करवा दिया जाता है. इस कर्ज के भुगतान के बाद व्यक्ति के सर पर राम नाम की छतरी होती है और पूरा परिवार सुरक्षित हो जाता है.

कर्ज भरते ही मिल जाती है राम की छाया: इस बैंक के मैनेजर की मानें तो 95 साल पहले इस बैंक की स्थापना 1926 में लोगों को कष्टों से मुक्ति दिलाने और जीवन में खुशहाली लाने के उद्देश्य से राय छन्नू दास जी ने की थी. यानी इस अद्भुत बैंक में राम के नाम का कर्ज से लोग निहाल होते हैं और इसके भुगतान के बाद उन्हें मिलता है पुण्य और वह अद्भुत सुख जिसके लिए हर व्यक्ति परेशान है.

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