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Chhattisgarh : विधायकों की समिति करेगी टैबलेट खरीदी और बीज घोटाले की जांच

 




स्कूल शिक्षा विभाग ओर कृषि विकास निगम में गड़बड़ी का मामला

समिति गठित, संतराम नेताम और धनेन्द्र साहू को बनाया सभापति

विधानसभा अध्यक्ष ने की थी विधानसभा की समिति से जांच कराने की घोषणा

(News Credit by Patrika)

रायपुर. विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग में टैबलेट खरीदी में हुई गड़बड़ी और छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम में हुए बीज घोटाले की जांच शुरू होगी। इन दोनों मामलों की जांच के लिए विधायकों की जांच समिति गठित कर दी गई है।

टैबलेट खरीदी मामले की जांच के लिए केशकाल के कांग्रेस विधायक संतराम नेताम और बीज घोटाले की जांच के लिए अभनपुर के कांग्रेस विधायक धनेन्द्र साहू को समिति का सभापति बनाया गया है। इसमें कांग्रेस-भाजपा के चार-चार अन्य सदस्यों को भी शामिल किया गया है। बता दें, दोनों ही मामले विधानसभा के बजट सत्र में उठे थे। इन दोनों मामलों में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा की समिति से जांच कराने की घोषणा की थी। इसके बाद विधानसभा सचिवालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश पिछले महीने 25 मार्च को जारी हुआ है। जांच समिति से जुड़़े विधायकों को इसकी जानकारी अलग से भेजी गई है।

यह है टैबलेट खरीदी का मामला
कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल ने बस्तर विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों में हाजिरी व अन्य कार्यों के लिए खरीदे गए टैबलेट में 200 करोड़ रुपए की गड़बड़ी का आरोप लगाया था। टैबलेट की खरीदी पूर्ववर्ती सरकार के समय वर्ष 2017-18 में हुई थी। इसमें हर साल लाखों रुपए अतिरिक्त व्यय भी किया गया था। यहां महज 7 टैबलेट ही उपयोगी हैं और 636 अनुपयोगी हैं। उस दौरान स्कूल शिक्षा विभाग मंत्री डॉ. प्रेमासाय सिंह टेकाम ने बताया था कि एक टैबलेट 11 हजार 682 रुपए का है और जो खराब हुए हैं उन्हें सुधारा नहीं जा सकता। कांग्रेस विधायक ने भण्डार क्रय नियम की अनदेखी का भी आरोप लगाया था। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि यह बच्चों के साथ धोखा है।

यह है बीज घोटाले का मामला
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने विधानसभा में बीज घोटाले का मामला उठाया था। उन्होंने सदन को जानकारी दी थी कि विधानसभा में जिस त्रिमूर्ति प्लांट साइंस कंपनी को प्रतिबंधित करने की घोषणा की गई थी, उस कंपनी को अफसरों ने 2.61 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया था कि प्रतिबंध हटाकर कंपनी को कैसे भुगतान किया। इस पर सदन में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने स्वीकार किया था कि इस कंपनी को 2.61 करोड़ का भुगतान करना उचित नहीं है।

यह जानकारी सामने आने के बाद कंपनी को फिर से डिबार करने का फैसला लिया गया है। मंत्री ने कहा था कि इसमें जांच की स्थिति है। वे उच्च स्तरीय जांच कराएंगे, लेकिन विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा की समिति से जांच कराने की मांग रखी थी।



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