सरपंच ने अपने स्वयं के नाम से 40 लाख, 98 हजार, 9 सौ , 40 रूपये की आहरण
शिकायत के एक साल आठ माह बाद भी नहीं हूई कार्यवाही
अधिकारी फाइलें दबाकर शासन - प्रशासन की छबी को कर रहे हैं धुमिल
रूपानंद सोई 94242 - 43631
पिथौरा : भारत एक कृषि प्रधान देश है। कहा भी जाता है देश की आत्मा गांवों में बसती है। देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। संविधान के अनुच्छेद 243 के अंतर्गत पंचायती राज का प्रावधान किया गया है। हर गांव का एक मुखिया होता है, जिसे हम सरपंच कहते हैं। हर गांव में सरपंच की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
जिस तरह देश के विकास की बागडोर प्रधानमंत्री (PM) के पास, प्रदेश की मुख्यमंत्री (CM) के पास होती है, ठीक उसी तरह गांवों के विकास की जिम्मेदारी सरपंच की होती है। और खुद सरपंच ही जमकर गडबडी करने लगे तो गांव का विकास कैसे होगा ।
विभिन्न विकास कार्य हेतु सरपंच ने ही स्वयं अपने नाम से कई लाख रूपये आहरण किये जाने के संबंध में एक साल आठ माह पहले शिकायत कि गई है, लेकिन आजतक कार्यवाही नहीं होने का मामला प्रकाश में आया है ।
मिली जानकारी अनुसार पिथौरा जनपद मुख्यालय से महज 7 कि.मी. की दुरी पर स्थित एक ग्राम पंचायत में मुलभूत योजना, 13वें वित्त एवं 14वें वित्त योजना, स्वच्छ भारत मिशन, पेंशन योजना, पंच सरपंच भत्ता, सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मिल स्कीम, विधायक एवं सांसद निधि के तहत सरपंच ने अपने स्वयं के नाम पर 40 लाख 98 हजार, 9 सौ , 40 रूपये आहरण कर हडप ली गई है।
जिसकी शिकायत पिथौरा के एक कांग्रेसी नेता के द्वारा दिनांक 10/04/2023 को कलेक्टर महासमुंद , जिला पंचायत महासमुंद एवं उप संचालक पंचायत महासमुंद के समक्ष कि गई है ।
उक्त शिकायत पर दिनांक 12/04/2023 को सीईओ जिला पंचायत महासमुंद के निर्देशानुसार सीईओ जनपद पंचायत पिथौरा के द्वारा जांच हेतु दिनांक 25/04/2023 को दिनेश दिक्षित, करारोपण अधिकारी एवं श्रीमती संयोगिता साहू, सा. विकास विस्तार अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त कर 07 दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु कहा गया था । लेकिन आज 605 दिन बितने के बाद भी उक्त सरपंच के खिलाफ कार्यवाही अपूर्ण है। जबकी पंचायतीराज अधियम के अनुसार पंचायत के विकास कार्यों की राशि को सरपंच अपने रिश्ते नातेदारों के नाम से भी भुगतान करना प्रतिबंधित है उक्त ग्राम पंचायत के सरपंच ने अपने ही नाम पर इतनी भारी भरकम राशि भुगतान कर अधिकारियों के संरक्षण में जमकर गडबडी की गई है ।
इसी तरह विभाग के अधिकारियों के द्वारा कार्यवाही करने के बजाय भ्रष्टाचार के अनेक मामले की फाईलों पर पोल्थी मारकर बैठकर शासन - प्रशासन की छबी को धुमिल किया जा रहा हैं ।
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