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Chhattisgarh Hindi News : छत्तीसगढ़ के स्कूलों में 40 हजार पद खाली, नई सरकार से शिक्षा की अधोसंरचना होगी मजबूत !





 News Credit By naidunia, Sandeep Tiwari

छत्तीसगढ़ में शिक्षा को बेहतर व्यवस्था और शिक्षकों की दरकार, प्रदेश के स्कूलों में 40 हजार पद खाली

प्रदेश में 56 हजार 512 स्कूल हैं, जहां करीब 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं 


रायपुर : प्रदेश के मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव में 76.33 प्रतिशत मतदान कर लोकतंत्र के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा दिया है। नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। अब बारी भावी सरकार की होगी कि वह मतदाताओं के मुद्दों को पूरी गंभीरता के साथ समझे और उन्हें पूरा करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। पहली प्राथमिकता में हमने शिक्षा को चुना है। इसमें प्री स्कूल से लेकर स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा और कृषि शिक्षा में जरूरतों को जोड़ा है।

प्रदेश में ना सिर्फ अच्छे शिक्षकों की जरूरत है, बल्कि शिक्षा की अधोसंरचना को भी मजबूत करने की दरकार है। प्रदेश में आज भी 80 प्रतिशत बच्चों को प्री प्राइमरी की शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा स्कूली शिक्षा से ही रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की भी कमी है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्रदेश में 56 हजार 512 स्कूल हैं, जहां करीब 60 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं । 

प्रदेश के करीब छह हजार स्कूलों में प्री नर्सरी की तर्ज पर बालवाड़ी संचालित हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार हर विद्यार्थी के लिए बालवाड़ी की जरूरत है। यहां शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति करने की जरूरत है। प्रदेश में राज्य स्तर पर प्री प्राइमरी इंस्टीट्यूट नहीं है जो कि प्री नर्सरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दे सके। प्रदेश के सभी 32 हजार 723 प्राइमरी स्कूलों में बालवाड़ी की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 10 2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म करके 5 3 3 4 फार्मेट में ढाला जाना है। इसके अनुसार प्री प्राइमरी के लिए तीन साल और कक्षा एक व दो को फाउंडेशन स्टेज माना गया है। इसे मजबूत करने की दरकार है। इसके बाद कक्षा तीन से पांच तक, फिर छह से आठ और चौथे स्टेज में नौवीं से 12वीं तक की शिक्षा शामिल है।


छठवीं से जुड़ें व्यवसाय के पाठ्यक्रम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार 2030 तक शत-प्रतिशत स्कूलों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य है। प्रदेश में अभी तक 592 हायर सेकेंडरी स्कूलों में 10 ट्रेड के लिए व्यावसायिक शिक्षा दी जा रही है। इनमें आइटी, आटोमोबाइल, एग्रीकल्चर, ब्यूटी एंड वेलनेस, रिटेल, पीएफएसआइ, टेली कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और हेल्थ केयर शामिल हैं।

अंग्रेजी स्कूलों की बढ़ानी होगी संख्या
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के खुलने से अभिभावकों का सरकारी स्कूलों के प्रति आत्मविश्वास भी बढ़ा है। दिन-ब-दिन शैक्षणिक व्यवस्था की हालत तो सुधर रही है मगर जर्जर स्कूल भवन और शिक्षकों की कमी अब भी बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है। राज्य शासन द्वारा वर्ष 2019 में 14 हजार 580 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी करने के बाद 11 हजार शिक्षक स्कूल पहुंचे हैं। अभी भी 12,489 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है। इसके बाद भी स्कूल शिक्षक विहीन या फिर एकल शिक्षकीय व्यवस्था में चल रहे हैं।


नतीजा यह हो रहा है कि विद्यार्थियों को पढ़ाई भी छोड़नी पड़ रही है। लोक शिक्षण संचालनालय के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश के करीब चार हजार स्कूल आज भी शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय हैं। वहीं प्रदेश के 30 हजार स्कूल भवन जर्जर हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत 8,000 से अधिक स्कूलों में 2,100 करोड़ रुपये की लागत से मरम्मत व कायाकल्प कराया है, मगर जर्जर स्कूल भवनों का मुद्दा अभी बरकरार है।

करीब 40 हजार पद स्कूलों में खाली

पदनामस्वीकृत सेटअप
प्राचार्य4,673
व्याख्याता46,013
प्रधानपाठक मिडिल12,449
शिक्षक मिडिल55,096
शिक्षक वर्ग दो एसएसए24,565
प्रधानपाठक प्राइमरी31,363
सहायक शिक्षक87,699
शिक्षक वर्ग तीन एसएसए33,997
शिक्षक विज्ञान8,927
कुल स्वीकृत3,04,782
कुल रिक्त39,454

अभी वर्गवार पद

शिक्षक वर्गपदों की संख्या
सहायक शिक्षक6,285
शिक्षक5,772
व्याख्याता432
कुल पद12,489

स्कूल छोड़ने वालों की दर

स्कूल स्तरबालकबालिकाकुल दर
प्राइमरी स्कूल0.880.590.74
मिडिल स्कूल4.793.274.03
हाई स्कूल16.3811.6813.13
हायर सेकेंडरी स्कूल11.188.109.64

(नोट: स्कूल शिक्षा से संबंधित आंकड़े दिसंबर 2022 तक के है।)

विश्वविद्यालयों में ही 64 प्रतिशत पद खाली

प्रदेश में उच्च शिक्षा का हाल बहुत बुरा है। खासकर राजकीय विश्वविद्यालयों में 64 प्रतिशत शिक्षकीय पद खाली हैं। वहीं कालेजों में 42 शैक्षणिक पद खाली हैं। 285 कालेजों में प्रोफेसरों के 682 पद नहीं भर पाए हैं।

नैक की ग्रेडिंग में भी पिछड़े

प्रदेश में सरकारी कालेजों की संख्या 285 है। इनमें प्राइवेट कालेजों की संख्या 244 है। कुल 529 कालेजों में 455 कालेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से ग्रेडिंग कराने की पात्रता है। अभी तक महज 202 कालेजों का नैक से मूल्यांकन हो पाया है। 253 का होना है। इनमें भी ए ग्रेड या इससे ऊपर ग्रेड का एक ही संस्थान है। बाकी बी या सी ग्रेड के कालेज-विश्वविद्यालय हैं। नैक की ग्रेडिंग किसी भी शिक्षण संस्थान की गुणवत्ता का द्योतक है। प्रदेश में कुल 31 विश्वविद्यालय संचालित हैं। इनमें राज्य सरकार की 15 और निजी क्षेत्र की 16 शामिल हैं।

चिकित्सा शिक्षा में चिकित्सकों की कमी

40 से 60 प्रतिशत चिकित्सा शिक्षक और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, रायगढ़, अंबिकापुर, कोरबा, महासमुंद और कांकेर में मेडिकल कालेज हैं। इसके अलावा एम्स है। बाकी तीन प्राइवेट मेडिकल कालेज हैं। सभी मेडिकल कालेजों में चिकित्सा शिक्षकों और प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है।

तकनीकी शिक्षा में नए ट्रेड की दरकार

राज्य के 36 शासकीय आइटीआइ के आधुनिकीकरण की दरकार है। हालांकि राज्य शासन ने तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास विभाग और टाटा टेक्नोलाजीस के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। लगभग 1188.36 करोड़ की परियोजना के तहत राज्य के 36 आइटीआइ को विकसित करना है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेजो में भी नए ट्रेड पर आज की मांग के अनुसार कोर्स संचालित कराने की दरकार है। खासकर युवाओं को आर्टीजन यूजिंग एडवांस टूल, इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स एंड डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग टेक्नीशियन, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस कंट्रोल एंड आटोमेशन ट्रेड, एडवांस सीएनसी मशीनिंग, बेसिक डिजाइनर एंड वर्चुअल वेरिफायर (मेकेनिकल), इलेक्ट्रिक वीकल जैसे नए विषयों पर शार्ट टर्म कोर्स, डिप्लोमा कोर्स और डिग्री कोर्स लाने की आवश्यकता है।

कृषि शिक्षा में गुणवत्ता लाना चुनौती

प्रदेश में 31 कृषि कालेज, 11 उद्यानिकी कालेज, चार कृषि अभियांत्रिकी कालेज, एक वानिकी कालेज और एक खाद्य प्रौद्योगिकी कालेज संचालित है। इन कालेजों से प्रति वर्ष तीन हजार से अधिक कृषि विद्यार्थी निकलते हैं। प्रदेश में कृषि स्नातकों के सामने या तो कृषि शिक्षक बनने का विकल्प है या फिर वह कृषि विस्तार अधिकारी बनने की चाहत रखते हैं। ऐसे में इन कृषि आधारित मानव संसाधन को गुणवत्तायुक्त कृषि शिक्षा के साथ कृषि के उद्यम व स्टार्टअप से जोड़ने की आवश्यकता है।

कुल 15 राजकीय विश्वविद्यालय

सामान्य क्षेत्र में : पंड़ित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय बस्तर, जगदलपुर, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा, अंबिकापुर, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग और नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़।

संगीत के क्षेत्र में : इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़।

पत्रकारिता के क्षेत्र में : कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर।

मुक्त विश्वविद्यालय: पंड़ित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर

कृषि व पशुपालन के क्षेत्र में: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा-दुर्ग, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय पाटन-दुर्ग।

तकनीकी क्षेत्र में: स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय नेवई, दुर्ग, डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी अंतरास्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, नवा रायपुर।

चिकित्सा क्षेत्र में: पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय, नवा रायपुर

सरकारी कालेजों में 42 प्रतिशत पद खाली

पदनामपदकार्यरतरिक्त
स्नातकोत्तर प्राचार्य593524
स्नातक प्राचार्य22623203
कालेज प्रोफेसर68200682
असिस्टेंट प्रोफेसर4,5653,2001,365
क्रीड़ा अधिकारी1547975
ग्रंथपाल1628280
कुल5,8483,4192,429

विश्वविद्यालयों में खाली शिक्षकीय पद

विश्वविद्यालयपदकार्यरतरिक्त
पं. रविशंकर शुक्ल विवि, रायपुर223104119
हेमचंद यादव विवि, दुर्ग350035
अटल बिहारी विवि, बिलासपुर351718
संत गहिरा गुरु विवि, सरगुजा411526
महेंद्र कर्मा विवि, बस्तर650659

इंदिरा कला संगीत विवि, खैरागढ़

672938
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि, रायपुर340826

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