महासमुंद जिले के पिथौरा विकास खण्ड अंतर्गत एक महिला सरपंच का कम पढे लिखे होने का फायदा उठाकर पंचायत सचिव के द्वारा जमकर गडबडी किये जाने का मामला प्रकाश में आया है ।
मिली जानकारी अनुसार पिथौरा विकास खण्ड अंतर्गत एक ग्राम पंचायत में वर्ष 2020-21 से वर्ष 2024-25 तक के इस अवधि में एक महिला सरपंच थी जो कम पढी लिखी थी ।
महिला सरपंच के कम पढी लिखी होने के कारण उसका DSC भी सचिव अपने पास रखकर जब चाहे तब अपने मन मुताबिक वेंडरों के नाम से राशि भुगतान कर फर्जी बिल लगाकर गोलमाल किया जाना बताया जा रहा है ।
उक्त पंचायत से जब एक आरटीआई कार्यकर्ता को RTI के तहत जानकारी मिली तब जाकर पता चला की जिस बिल के माध्यम से विकास कार्य के नाम से लाखों रूपये भुगतान कि गई है उसके बारे में उक्त महिला सरपंच को कुछ भी नहीं पता लेकिन इस गडबडी के बारे में कूछ पंचों को जानकारी जरूर थी । लेकिन सचिव के साथ उनका तालमेल अच्छा था जिसके कारण वे पंच लोग पंचायत में हो रहे भारी गडबडी का खुलासा कभी नहीं किये । इसी तरह सचिव पंचायत में जमकर गडबडी कर अपनी जेबें भरने का काम किया है ।
55 कि.मी. की दुरी तय कर खरीदा गया गिट्टी सीमेंट, जिस फर्म से खरीदा गया उस फर्म का पता नहीं
उक्त पंचायत के आस पास की दुकानों में जो रेट में उपलब्ध था गिट्टी सीमेंट वही रेट में 55 कि.मी. की दुरी तय कर पिथौरा से खरीदा गया । कारण जानकर हैरान हो जाऐंगे आप, पिथौरा स्थित जो फर्म से गिट्टी सीमेंट खरीदा गया है उस फर्म को हमारी टीम ने ढुढने की कोशिश की लेकिन उक्त फर्म का कहीं पता नहीं चला ।
फर्जी बिल के आधार पर राशि भुगतान करने के बारे में सचिव ने बताया की सरपंच ने जो बिल दिया है उस बिल के आधार पर राशि भुगतान किया गया है । मगर लाखों रूपये भुगतान करने के बाद भी फर्म कहां है उसका संचालक कौन है । इसके बारे में सचिव को भी जानकारी नहीं है । इसी तरह सिदार ट्रेक्टर्स, सिदार पैंटर्स, सिदार कृषि फार्म, बरिहा ट्रेक्टर्स, पटेल ट्रेडर्स, नायक ट्रेडर्स एवं अन्य फर्जी फर्म के नाम से कई लाख रूपये भुगतान किया गया है ।
मुख्यमंत्री जनदर्शन एवं आयकर विभाग में होगी शिकायत
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि पिछले 5 सालों में पंचायत में मटेरियल बिलों का फर्जी भुगतान हुआ है। इस तरह भारी भरकम सरकारी धन का बंदरबाट किया गया है। आचार संहिता के नाम से मुख्यमंत्री जनदर्शन कार्यक्रम स्थगित था । जनदर्शन कार्यक्रम प्रारंभ होते ही शिकायत की जायेगी । साथ ही जिन-जिन फर्म के नाम से राशि भुगतान की गई है उन फर्म की आय-व्यय विवरणी की जांच हेतु आयकर विभाग से भी शिकायत करने की तैयारी में है ।
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