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छत्तीसगढ : कोलता समाज के शादी में नहीं होगा अतिशबाजी, बारात में इतने लोग होंगे शामिल




सागाई में 21 और बारात में 120 लोग होंगे शामिल
 
बारात में अतिशबाजी (फटाके) पर पूर्ण प्रतिबंध
 
सामाजिक कार्यों में बनेगी सात्विक भोजन 

रायपुर संभाग कोलता समाज में बने सामाजिक नियमावली का होगा अक्षरशः पालन - प्रस्ताव पारित

रूपानंद स्वांई, पिथौरा 94242 - 43631 

पिथौरा : बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज संभाग रायपुर में दिनांक 09.02.2013 में बैदपाली की बैठक में प्रांतीय सभा के द्वारा अनुमोदित सामाजिक नियमावली के परिपालन में समस्त शाखा सभा में जाति भाइयों की बैठक आयोजित कर संकल्प पारित गया। दिनांक 30.11.2023 को रामचंडी मंदिर गढ़फूलझर में आयोजित बैठक में कुल कार्यकारिणी सभा द्वारा लिए गये निर्णयानुसार रायपुर संभाग के सभी 30 शाखा सभाओं में एक साथ 10 दिसंबर को कुल कार्यकारिणी द्वारा नियुक्त प्रभारियों की उपस्थिति में नियमावली के परिपालन में प्रस्ताव पास किया गया। सामाजिक नियमावली में निहित सभी बिंदुओं का कड़ाई से पालन करने के साथ साथ सामाजिक कुरीतियों को दूर कर कोलता समाज को एक सभ्य एवं समृद्ध समाज बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।
 

सागाई में 21 और बारात में 120 लोग होंगे शामिल
सामाजिक जनों द्वारा संकल्प पारित किया गया कि गर्भधारण के समय गोदभराई के नाम पर अनावश्यक मेहमान नवाजी एवं पीठा खुआ पर प्रतिबंध लगाने, एकशिया कार्यक्रम श्री सत्यनारायण कथा आयोजित कर सादगी पूर्वक करने, सामुहिक विवाह को प्रोत्साहित करने अपने कुल देवी मंदिर या अन्य मंदिर में सामुहिक रूप से करने, फलदान पर कपड़ा देने की प्रक्रिया बंद करने एवं फलदान (सगाई) के कार्यक्रम में 21 व्यक्ति के शामिल होने, विवाह एवं अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में शाकाहारी भोजन व्यवस्था करने, बारात में अधिक से अधिक 120 सदस्य तथा कन्या विदाई पर 21 व्यक्ति शामिल होने, विवाह में आतिशबाजी बंद करने, विवाह में लड़का एवं लड़की दोनों पक्ष को अपने-अपने ग्राम शाखा में 121 रूपये जमा कर विवाह पंजीयन शाखा स्तर पर किये जाने का प्रस्ताव पास किया गया। एकादश कर्म के दिवस पर दिये जाने वाले भोज में मीठा परोसना वर्जित करने का निर्णय लिया गया।


शिक्षा से न हो कोई वंचित  
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक बच्चे को अनिवार्य रूप से शिक्षा दिलाएंगे । यदि माता-पिता शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं देते हैं तो ग्राम प्रतिनिधि अथवा गांव के वरिष्ठ व्यक्ति शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखते हुए उक्त परिवार को समझाईश देंगे। ताकि बच्चा शिक्षा से वंचित न हो। सभी संभाग में छात्राओं के लिए छात्रावास का संचालन करने, निर्धन छात्र छात्राओं को संभाग/अंचल स्तर चिन्हांकित कर 10वीं एवं 12वीं में अध्ययनरत हों उन्हें यथा संभव सहयोग प्रदान करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। साथ में बच्चों को मातृभाषा (उड़िया ) भाषा की शिक्षा भी ग्रीष्मकालीन अवकाश में दिये जाने का संकल्प पारित गया ।


आर्थिक लेनदेन का हर साल होगा ऑडिट 
समाज आर्थिक लेन देन में पारदर्शिता हेतु निम्न रिकार्ड आवश्यक रूप से शाखा, अंचल, संभाग एवं प्रान्त स्तर पर सदस्यता पंजी, कार्यवाही पंजी, रोकड़ बही, रसीद बुक, व्हाउचर फाईल, आवक-जावक पंजी/ फाईल, स्टाॅक पंजी, भूमि/भवन संबंधी फाईल, वार्षिक आय-व्यय लेखा संबंधी फाईल रखना आवश्यक है। वार्षिक व्यय का लेखा ऑडिट सामाजिक स्तर पर कराना आवश्यक होगा जो संभागीय-कार्यकारिणी अलग-अलग अंचलों के प्रतिनिधियों को अलग-अलग अंचलों में भेजकर करा सकेंगे। प्रत्येक वर्ष की समाप्ति पर माह अप्रैल में संभाग के पास सभी ऑडिट रिर्पोट जमा कराया जायेगा ।


सामाजिक संगठन को मजबूत करने का निर्णय
समाज के सर्वांगीण विकास के लिए संगठित होना आवश्यक है तथा संगठन को मजबूत करने के लिये ग्राम स्तर पर, शाखा स्तर पर, अंचल स्तर पर, संभाग स्तर पर एवं प्रदेश स्तर पर समाज के सभी सदस्यों को गंभीर रूप से विचार किया जाना चाहिए। सभी स्तर की बैठक वर्ष में चार बार करने तथा प्रांतीय बैठक अलग अलग संभाग में रोस्टर प्रणाली से आयोजित करने का एवं इसी प्रणाली को निचले स्तर पर निर्णय लिया गया है। बैठक की सूचना मुख्य रूप से सचिव/महामंत्री/महासचिव के द्वारा अध्यक्ष की सहमति से ही जारी करेंगें। आवश्यकता पड़ने पर अध्यक्ष भी बैठक हेतु पत्र जारी कर सकते हैं। 

23 साल पहले समाज में लाया गया था नियमावली 
आपको बता दें कि बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज संभाग रायपुर में फरवरी  2001 में गढफुलझर में महासभा आयोजितकर चन्द्रमणी प्रधान के अध्यक्षता में सामाजिक नियमावली लागू किया गया था। जिसमें सामाजिक परम्परा के अनुसार शिशु के गर्भ में आने के पश्चात से उसके मृत्यु तक अनेक संस्कारों का पालन किया जाता है , इन संस्कारो के आयोजन में एकरुपता , वैज्ञानिकता , तथा मितव्ययता को ध्यान में रखते हुए पारम्परिक क्रियाकलापों का गंभीर अध्ययन कर समाज ने अनेक संसोधन स्वीकृत किये थे । लेकिन समाजिक लोगों का कहना है आज नियमावली को लागू हुए 23 साल हो गये , सामाजिक बैठक में नियमावली की बात पर कुछ लोग जोर देते हैं उसके बाद कुछ दिन तक नियमावली का अक्षरश: पालन करने की चर्चा होने लगती है लेकिन छ: माह के बाद लोग भूल जाते हैं कि हम भी इसी समाज का हिस्सा हैं और मनमानी कर समाज में लागू नियमावली का उल्लंघन करने लगते हैं । जिसके कारण समाज को एक नई गति नहीं मिल पा रही है ।


शादी में बकरा भोज को लेकर समाज बंटा 
स्वस्थ समाज का निर्माण तभी संभव है जब समाज में अनुशासन का पालन हो लेकिन कोलता समाज में आये दिन मांसाहारी भोजन को लेकर खिचतान आम बात है । पूर्व में एक शादी कार्यक्रम में बकरा भोज को लेकर समाज विभाजन हो गया था इस बात को लेकर बाबा बिशाशहे कुल कोलता समाज के द्वारा आपत्ती किये जाने पर समाज में  कूछ लोग संगठित होकर अलग संगठन बनाकर पंजीयन भी करा लिये थे । उस समय इस बात को लेकर कोलता समाज के अलावा अन्य समाज में भी खुब चर्चा रहा ।


मनमानी के लिए समाज प्रमुखों को सजा 
भिखापाली निवासी बज्रसेन को एक मामले में न्यायालय ने दोषमुक्त था उसके बाद भी उसे समाज में शामिल नहीं करने के लिए भय दिखाकर उस व्यक्ति से 13 हजार रूपये मांग करने वाले कोलता समाज कुल कार्यकारणी सभा के अध्यक्ष , महामंत्री समेत 18 समाज प्रमुखों को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पिथौरा अश्वनी कुमार चतुर्वेदी के द्वारा भादवि की धारा 384 के तहत 6 माह के साधारण कारावास व 5-5 सौ रूपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई थी । उस समय विधि के जानकारो का कहना था कि उनके जानकारी में यह पहला मामला है किसी सामाज के समाज प्रमुखों को कोर्ट ने सजा सुनाई है ।


समाज में लेखा-जोखा रिकार्ड नहीं 
बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज का पंजीयन दिनांंक 24/03/1983 को पंजीयक फर्म एवं संस्थाऐं में कराया गया है जिसका पंजीयन क्रमांक 1215 है । उक्त  पंजीयन उपरांत पंजीयक फर्म एवं संस्थाऐं में लागू अधिनियम 1973 (संसोधन 1988) की धारा 27 के अधिन वार्षिक बैठक की जानकारी एवं धारा 28 के अधीन आय-व्यय की जानकारी प्रति वर्ष कार्यालय रजिस्ट्रार पंजीयक फर्म एवं संस्थाऐं के समक्ष करना था । लेकिन  बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज के द्वारा 29 साल तक उक्त कार्यालय में किसी प्रकार की रिकार्ड जमा नहीं किया गया । उक्त संबंध में कार्यालय रजिस्ट्रार पंजीयक फर्म एवं संस्थाऐं छत्तीसगढ से दिनांक 24/02/2012 को सूचना के अधिकार के तहत पिथौरा निवासी रूपानंद स्वांई को मिली जानकारी के तहत खुलासा हुआ कि उक्त संस्था (बाबा बिशासहे कुल कोलता समाज) के पंजीयन वर्ष 1983 से 2012 तक 29 साल का कोई भी रिकार्ड नहीं है । उक्त संबंध में दिनांक 13/07/2013 को कलेक्टर महासमुंद से रूपानंद स्वांई के द्वारा जांच की मांग की गई थी जिसमें कलेक्टर महासमुंद के द्वारा 21/08/2013 को ज्ञापन जारी कर उप पंजीयक फर्म एवं संस्थाऐं महासमुंद को जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया था जो कि जांच अभी तक लंबित है ।
 

सामाजिक भवन खण्डहर में तब्दील
पिथौरा में करीब डेढ़ दशक पूर्व लाखों रुपए की लागत से निर्मित सामाजिक भवन खंडहर में तब्दील हो गया है। कोलता समाज का यह सामाजिक भवन रख रखाव के अभाव में इसकी खस्ताहाल स्थिति की वजह से उपयोग के लायक नहीं है। आपको बता दें रायपुर, सरायपाली , बसना एवं सांकरा में सुविधायुक्त सामाजिक भवन है जिसमें सामाज के द्वारा सामाजिक एवं सांस्कृतिक कायक्रम का आयोजन किया जाता है और भवन कि रखखाव बहूत अच्छी है । लेकिन पिथौरा स्थित यह सामाजिक भवन शाखा सभा किशनपुर अंतर्गत आता है उक्त भवन की देखरेख की जिम्मेदारी किशनपुर शाखा की है । सामाजिक पदाधिकारियों की अनदेखी के कारण उक्त जर्जर भवन का आजतक मरम्मत नहीं हो सका । किशनपुर शाखा के सभापति खेमराज साहू ने बताया कि उक्त शाखा सभा में कूल 11 गांव है 30 सामाजिक पदाधिकारी हैं लगभग 3000 हजार जनसंख्या है । सामाजिक भवन की मरम्मत अति आवश्यक है वर्तमान में समाज स्तर में बैठक एवं अन्य कार्यक्रमों के लिए एक भी भवन नहीं है ।

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