भारत को चांद पर सफलता मिल गई है. चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर उतर कर इतिहास रच दिया है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला भारत पहला देश बन गया है.
चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर उसमें से निकलेगा और चंद्रमा की सतह पर घूमकर शोध करेगा और जानकारी जुटाएगा.
14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाले चंद्रयान-3 ने अपनी 40 दिनों की लंबी यात्रा पूरी की है.
इसरो के बताए गए विवरण के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लिए मुख्य रूप से तीन उद्देश्य निर्धारित हैं.
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना, चंद्रमा की सतह कही जाने वाली रेजोलिथ पर लैंडर को उतारना और घुमाना लैंडर और रोवर्स से चंद्रमा की सतह पर शोध कराना.
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ़्रीका से वर्चुअली इसरो के वैज्ञानिकों को संबोधित किया.
पीएम मोदी ने कहा,“हमारे परिवारजनों जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं, जीवन धन्य हो जाता है. ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्र जीवन की चेतना बन जाती हैं. ये पल अविस्मरणीय है. ये क्षण अभूतपूर्व है. ये क्षण विकसित भारत के शखनांद का है.
ये क्षण नए भारत के जय घोष का है. ये क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है. ये क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है. ये क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है. ये क्षण भारत में नई ऊर्जा नई चेतना का है.”
उन्होंने कहा, “इसरो ने वर्षों तक इस पल के लिए इतना परिश्रम किया है. मैं 140 करोड़ देशवासियों को बधाई देता हूं.”
“हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम और प्रतिभा से चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचा है, जहां दुनिया का कोई देश भी नहीं पहुंच सका है. अब चांद से जुड़े मिथक बदल जाएंगे और कथानक बदल जाएंगे, नई पीढ़ी के लिए कहावतें भी बदल जाएगी.”
उन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता की बधाई के साथ इसरो के एक और मिशन की जानकारी दी है.
पीएम मोदी ने कहा, ''जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो आदित्य एल-वन मिशन शुरू करने जा रहा है. इसके बाद शुक्र भी इसरो के लक्ष्यों में से एक है.
"गगनयान के ज़रिए ह्यमून मिशन भी है. भारत बार बार ये साबित कर रहा है कि उड़ान की कोई सीमा नहीं है. इसलिए आज के दिन को हमेशा याद रखेंगे. ये दिन हम सभी को उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करेगा.''
पीएम मोदी ने कहा, ''चंद्रयान-3 का मिशन पूरी मानवता के लिए है, यह मानवतावादी विचार पर आधारित है. मुझे विश्वास है कि दुनिया के सभी देश ये उपलब्धि हासिल कर सकते हैं."
"हम सभी चांद और उससे आगे के जहां के सपने देख सकते हैं. भारत की उड़ान चंद्रमा की कक्षा से आगे जाएगी. अभी कहा जाता है-चंदा मामा बहुत दूर के हैं और अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे-चंदा मामा बस एक टूर के हैं.''
पीएम मोदी ने कहा, ''मैं दुनिया के सभी देशों के लोगों से कहना चाहता हूं कि ये सिर्फ़ भारत की सफलता नहीं है. ये एक ऐसा साल है, जब भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है. हमारा एप्रोच वन अर्थ, वन फैमिली का है और हम ये रिप्रेजेंट करते हैं."
वेलकम बडी
पिछले अनुभव के आधार पर 'चंद्रयान-3' के मॉड्यूल में ज़रूरी बदलाव किए गए हैं ताकि लैंडिंग के वक़्त अचानक लगने वाले किसी झटके की सूरत में उसे संभाला जा सके.
सामान्य शब्दों में कहें तो आख़िरी लम्हों में जैसा कि अक़सर होता है, अगर कुछ गलत हुआ तो भी वैज्ञानिकों के पास उसे संतुलित करने और लैंडिंग जारी रखने का मौका होगा.
ऐसा कहा जा रहा है कि चंद्रमा की कक्षा में मौजूद 'चंद्रयान-2' के ऑर्बिटर और 'चंद्रयान-3' के बीच संपर्क स्थापित हो गया है.
चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहे 'चंद्रयान-3' के लिए 'चंद्रयान-2' ने अपने मैसेज में कहा- 'वेलकम बडी.'
चंद्रयान-2' के पास उसके मैसेज डेलिवर की सूचना भी पहुंच गई थी.
लैंडिंग मिशन
लेकिन कई और बातें हैं जो इस लैंडिंग मिशन के लिए मायने रखती हैं जिसमें प्रज्ञाम लूनर रोवर भी शामिल है.
'चंद्रयान-3' की लॉन्चिंग के बाद 'लूना 25' को भेजा गया था लेकिन उसका लक्ष्य पहले पहुंचने का था.
इसके ठीक उलट 'चंद्रयान-3' को ज़्यादा वक़्त मिला अपने आस-पास की चीज़ों को देखने, जांचने और परखने का ताकि लैंडिंग के लिए बेहतर जगह का चुनाव किया जा सके.
लैंडिंग से पहले मंगलवार सुबह को साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने एक टाइम लैप्स वीडियो जारी किया.
दो मिनट के इस वीडियो में चंद्रयान-3 के निर्माण के हरेक चरण को दिखाने और समझाने की कोशिश की गई है.
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