पिथौरा : कोरोना के प्रभाव से देवी मंदिरों में 02 वर्षो तक सन्नटा रहा किन्तु इस बार पूर्व की भांति रौनकता देखी गई । चैत्र नवरात्र के अवसर पर देवी मंदिरों में स्थापित जोत जंवारा का श्रद्धापूर्वक विसर्जन किया गया। नवरात्र के अवसर पर नगर सहित क्षेत्र के देवी मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था । मान्यता एवं परंपरा के अनुसार घी एवं तेल के जोत जलाए गए थे। वहीं मंदिरों एवं माता देवालयों में नवरात्र प्रारंभ होते ही जंवारा बोया गया। श्रद्धा भक्ति एवं आस्था के साथ पूरे नवरात्र में अपने-अपने तरीके व पारंपरिक ढंग से देवी मंदिरों में पूजा आराधना की गई। साथ ही जसगीत का आयोजन भी किया गया। 9 अप्रेल को दुर्गा अष्टमी होने से मंदिरों में देर शाम तक हवन पूजन का कार्यक्रम चलता रहा। दूसरे दिन नवरात्रि के समापन अवसर पर मंदिरों में बोये गए जंवारा को माता के भक्तों द्वारा विसर्जन करने के लिए पूरे भक्ति भाव से ले जाया गया। पिथौरा नगर की यह परंपरा रही है कि जब भी माता के भक्त मांदर की थाप के साथ जंवारा को लेकर सड़क एवं गलियों से गुजरते हैं तो लोग सहसा ही निकलकर देवी के रूप में जोत को लेकर चल रहे भक्तों के स्वागत सत्कार करने लगते हैं। पिथौरा नगर का माहौल नवरात्र के दौरान भक्तिमय रहा। जहां लोग श्रीरामजी के जन्मोत्सव पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते दिखे। वही भी देवी भक्तों का जंवारा विसर्जन के प्रति आस्था देखते ही बनती थी।
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