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Chhattisgarh : अब हरे चावल की भी जैविक खेती, उत्पादन करने वाला प्रदेश में तीसरा जिला बना बालोद



लाल, काला व सफेद चावल की खेती के बाद अब जिले में हरे चावल की भी जैविक खेती की जा रही है। इस साल 15 डिसमिल में एक किलो हरे रंग के चावल के बीज का छिड़काव कर 37 किलो हरे चावल का उत्पादन किया गया। बालोद हरे चावल खेती करने वाला प्रदेश का तीसरा जिला बन गया है। इससे पहले धमतरी व दुर्ग जिले में भी इसकी खेती हो चुकी है।

(News Credit by Patrika)

Chhattisgarh : बालोद  लाल, काला व सफेद चावल की खेती के बाद अब जिले में हरे चावल की भी जैविक खेती की जा रही है। इस साल 15 डिसमिल में एक किलो हरे रंग के चावल के बीज का छिड़काव कर 37 किलो हरे चावल का उत्पादन किया गया। बालोद हरे चावल खेती करने वाला प्रदेश का तीसरा जिला बन गया है। इससे पहले धमतरी व दुर्ग जिले में भी इसकी खेती हो चुकी है। यहां भूरे, सफेद, लाल व काले गेहूं की खेती के साथ हरे रंग के गेहूं की खेती की गई। जिले में जैविक खेती से उत्पादित रंगीन व सुगंधित चावल और गेहूं की मांग दिल्ली से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक है। गुरुर विकासखंड के ग्राम सनौद के किसान ध्रुव राम साहू को जैविक कृषि के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के कारण रविवार को महाराष्ट्र के वर्धा में उन्हें उत्कृष्ट कृषक का सम्मान मिला। कृषि में राष्ट्रीय सम्मान पाने वाले वे पहले कृषक बन गए हैं।

खेती का तरीका देखने रायपुर से आती है टीम

हरे चावल की जैविक खेती कर देश में ब्रांड बना धान का कटोरा छत्तीसगढ़, अब हर सीजन में उत्पादन होगा। सबसे ज्यादा डिमांड आस्ट्रेलिया में है। वहीं इस साल जर्मनी से भी मांग आई है। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर की टीम भी खेती करने के तरीके को देखने आती है।

 अब खुद का बनाया सिंबल

किसानों ने बताया कि पहली बार जैविक कृषि की तो फसल उत्पादन के बाद रायपुर बिलासपुर की कंपनी को बेच देते थे। जिसे कम्पनी अपना सिंबल लगाकर बाहर बेचती थी। अब खुद का सर्वोदय कृषक प्रोडक्शन लिमिटेड सिंबाल बनाया। कम्पनी के लोग सीधे घर से जैविक रेड व ब्लैक राइस के साथ काला गेहूं खरीद कर ले जाते हैं। आस्ट्रेलिया में इस चावल से दवाई बनाई जाती है। विभिन्न रोगियों को भी इसका सेवन कराया जाता है।

सभी रह गए हैरान
बीते साल ही राज्योत्सव में सनौद के दो प्रगतिशील किसान ध्रुव राम व कोमल राम ने जैविक कृषि से उत्पादित रंग-बिरंगे चावल व गेहूं का स्टाल लगाया था तो सभी हैरान रह गए। किसी ने सोचा और देखा भी नहीं था कि लाल व काले रंग का गेहूं होता है। जिले में उत्पादित जैविक चावल व गेहूं से विदेश में दवाई बन रही है। लगातार मांग से जैविक कृषि के प्रति किसानों का रुझान भी बढ़ रहा है। जैविक चावल की कीमत 7 से 8 हजार प्रति क्विंटल तक है।

आने वाला समय जैविक उत्पाद का

दोनों किसानों ने बताया कि आने वाला समय जैविक कृषि का है। क्योंकि वर्तमान में रासायनिक खेती से उत्पादित खाद्य पदार्थ का सेवन कर लोग बीमार हो रहे हैं। ऐसे में लोग जैविक खाद्य पदार्थों की मांग कर रहे हैं। इतना तय है कि आने वाले दिनों में जैविक उत्पाद की मांग बढ़ेगी। किसान ध्रुव और कोमल 5 साल से जैविक ब्लैक व रेड राइस की खेती कर रहे हैं। अब ट्रायल के तौर पर बाहर से हरे चावल का बीज मंगाकर 15 डिसमिल में खेती की है। 37 किलो हरे चावल के बीज का उत्पादन किया है।

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