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Chhattisgarh : भूपेश बघेल की हार के बाद कांग्रेस के अंदर बग़ावत के सुर हुए तेज़

 


Credit bbc.com/hindi 

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की हार के बाद कांग्रेस के अंदर बग़ावत के सुर हुए तेज़

छत्तीसगढ़ में चुनावी हार के साथ ही कांग्रेस पार्टी के भीतर की अंतर्कलह अब सतह पर आ गई है.

पाँच साल की सत्ता से बेदख़ल हो चुके भूपेश बघेल, अब अपने ही लोगों के निशाने पर हैं.

भूपेश बघेल सरकार में मंत्री, विधायक रह चुके नेता, हर दिन अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगा रहे हैं.

भूपेश बघेल की सरकार में राजस्व मंत्री रह चुके जयसिंह अग्रवाल ने हार का ठीकरा भूपेश बघेल पर फोड़ते हुए कहा, ''भूपेश बघेल ने मंत्रियों के अधिकार छीन लिए थे और मंत्रियों के इलाके में भ्रष्ट नौकरशाहों को नियुक्त किया गया था, जो मंत्री-विधायक की सुनते ही नहीं थे.''

एक और पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेता केवल अपनी-अपनी देख रहे थे, इसलिए पार्टी हारी.

वहीं टिकट काटे जाने से नाराज़ एक विधायक ने तो प्रदेश की प्रभारी कुमारी शैलजा को 'हीरोइन' बताते हुए उन कई गंभीर आरोप लगाए.

एक अन्य पूर्व विधायक ने तो पार्टी के एक नेता पर पैसे लेने के आरोप लगाए, वहीं चुनाव हारने वाले एक पूर्व विधायक ने अपने ही नेताओं पर चुनाव हरवाने का आरोप लगाया है.

कांग्रेस ने इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच कुछ नेताओं को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा है.

इधर चुनाव हार चुके, सांसद और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने बताया, ''भूपेश बघेल जी के ख़िलाफ़ कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, यह उचित नहीं है. अगर कोई बात है तो उसे पार्टी फ़ोरम में ही रखा जाना चाहिए. पार्टी नेताओं की सार्वजनिक आलोचना को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.''



सत्ता के केंद्रीकरण का आरोप
2018 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 में से सर्वाधिक 71 सीटों पर कब्ज़ा करने वाली कांग्रेस पार्टी और सरकार के पांच साल बहुत शांति से गुजरे हों ऐसा नहीं है.

मुख्यमंत्री के चार दावेदारों भूपेश बघेल, चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू में से भूपेश बघेल की ताजपोशी ही बड़ी मुश्किल से हो पाई.

इसके बाद ढाई साल का दौर शुरू हुआ और टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय भूपेश बघेल ने टीएस सिंहदेव के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया.

कांग्रेस विधायक दिल्ली पार्टी मुख्यालय में भूपश बघेल को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के ख़िलाफ़ धरना-प्रदर्शन करने लगे.

रायपुर में भी यही हाल रहा. टीएस सिंहदेव का चेहरा मुख्यमंत्री बनाने के वायदे, अपनी इच्छा को आधा बताते और आधा छुपाते, टीवी चैनलों तक सिमट कर रह गया.

रायपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, ''शुरुआती ढाई साल के बाद नेता, अफ़सर और पत्रकार तय ही नहीं कर पाए कि वे छत्तीसगढ़ में किसके साथ रहें. उन्हें कांग्रेस नेतृत्व पर भरोसा था कि वह देर-सबेर टीएस सिंहदेव को सीएम ज़रूर बनाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. भूपेश बघेल ने राज्य में अपने तरीक़े से कांग्रेस पार्टी और सरकार को चलाना शुरू कर दिया. यह सिलसिला चुनाव तक जारी रहा.''

राज्य की ऊर्जा नगर कहे जाने वाले कोरबा के विधायक और राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल अपने इलाक़े में तैनात किए जाने वाले कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों के ख़िलाफ़ लगातार मुखर बने रहे.

इन दिनों ईडी की न्यायिक हिरासत में जेल में बंद आईएएस रानू साहू के ख़िलाफ़ तो तो जय सिंह अग्रवाल ने मोर्चा ही खोल दिया था.

उन्होंने सार्वजनिक तौर पर तब कोरबा की कलेक्टर रानू साहू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए और राज्य सरकार से उन्हें हटाने की मांग की. लेकिन उनकी शिकायत धरी रह गई.

हालांकि एक वर्ग का कहना है कि मंत्री अपने इलाक़े में होने वाले ठेके में अपनी भूमिका तय करना चाहते थे, इसलिए वे अफ़सरों के ख़िलाफ़ थे.

विधानसभा चुनाव हारने के बाद जय सिंह अग्रवाल ने फिर अपने आरोपों को दोहराया. उन्होंने कहा कि खेतों को सुरक्षित रखने के लिए बाड़ा बनाया जाता है. अगर वो बाड़ा ही खेत को खाए तो क्या होगा?

जयसिंह अग्रवाल ने कहा,'' इन अधिकारियों ने पूरे साढ़े चार साल तक कोरबा के माहौल को बिगाड़ दिया. यहां पर सरकार की इतनी एंटी-इंकम्बैसी पैदा की…अभी का जो चुनाव था, वो चुनाव थोड़ा सेंट्रलाइज हो गया था. जो हमको जनादेश मिला था, उस जनादेश का हमारी सरकार सही तरीके से आदर नहीं कर पाई.”

जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि राज्य में मंत्रियों को अधिकार ही नहीं दिए गए, सरकार की पूरी ताक़त कुछ लोगों में सिमट कर रह गई थी.


प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा पर सवाल
भूपेश बघेल के बेहद क़रीबी कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने जुलाई 2021 में जब डेढ़ दर्जन कांग्रेस विधायकों के साथ प्रेस कांफ्रेंस करके कांग्रेस सरकार में मंत्री टीएस सिंहदेव पर हत्या की साज़िश का आरोप लगाया तो सनसनी फ़ैल गई.

लेकिन टीएस सिंहदेव, विधानसभा की कार्रवाई के बीच से यह कह कर निकल गए कि जब तक इस मामले की जांच नहीं हो जाती, तब तक वे सदन में नहीं आएंगे.

इसके बाद भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने क़रीबी विधायक के गंभीर आरोप पर चुप रहे. बृहस्पति सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

अब विधानसभा चुनाव के बाद जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर अहंकारी होने और मंत्रियों को अधिकार नहीं देने पर सवाल उठाए जा रहे हैं तो बृहस्पति सिंह फिर से टीएस सिंहदेव के ख़िलाफ़ बयान देने के लिए सामने आए.

बृहस्पति सिंह ने न केवल टीएस सिंहदेव को लेकर सवाल उठाए, बल्कि कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा पर भी निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की प्रभारी कुमारी शैलजा के कारण पार्टी राज्य में हारी.

बृहस्पति सिंह ने कहा, ''हमारी प्रभारी कुमारी शैलजा सिर्फ़ सरगुजा संभाग में जा कर टीएस सिंह से ड्राइविंग करवाती थी और ख़ुद सामने बैठ कर फोटो शूट कराती थी. किसी हीरोइन की तरह, जैसे बॉम्बे से कोई फोटो शूट कराने के लिए आया है. टीएस सिंहदेव को पार्टी से निकाले बिना कांग्रेस की हालत नहीं सुधरेगी.''

बृहस्पति सिंह ने कहा कि कांग्रेस के हमारे नेताओं का घमंड सिर चढ़कर बोल रहा था. ऐसा लग रहा था कि जिसको यह टिकट दे देंगे वही चुनाव जीत जाएगा.

हालांकि पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे टीएस सिंहदेव का कहना है कि बृहस्पति सिंह को अगर लगता है कि उनके आरोप सही हैं तो उन्हें पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी बात ज़रूर रखनी चाहिए.

लेकिन बात केवल जय सिंह अग्रवाल और बृहस्पति सिंह भर की नहीं है.



तालमेल की कमी और एक दूसरे का नुकसान
पिछली सरकार में मंत्री रहे अमरजीत भगत ने चुनाव में हार के बाद कई मुद्दे गिनाए.
20 लोगों की टिकट काटे जाने और उनमें से 14 सीटों पर हार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “सबलोग जो है, अपना अपना चलाने के उसमें एक-दूसरे को निपटाने के चक्कर में सब हुआ है. सब लोग एक दूसरे को नुकसान पहुंचाए हैं. आपस में तालमेल करके चुनाव लड़ना था. तालमेल की कमी दिखी.”

पाली तानाखार के पूर्व विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने भी सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया कि पार्टी के अंदर ही कुछ नेताओं ने मिलकर षड्यंत्र किया है. आदिवासी विधायकों को हराने षड्यंत्र के तहत काम किया गया.

एक अन्य पूर्व विधायक डॉक्टर विनय जायसवाल ने तो केंद्र से आए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव चंदन यादव पर सात लाख रुपये लेने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ''वो पैसा अगर पार्टी फंड में जमा किया गया हो तो उसकी जांच होनी चाहिए.''

विनय जायसवाल ने कहा कि केवल और केवल टिकट का बनाकर पैसा वसूलने का काम किया गया है, तो इसकी जांच कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं, "छत्तीसगढ़ को कांग्रेस पार्टी ने एटीएम बना कर रखा था. अब चुनाव के बाद कांग्रेस के नेता ख़ुद यह बात कहने लगे हैं. दिल्ली से खाली थैला लेकर आने वाले कांग्रेस के नेता छत्तीसगढ़ से थैला भर कर पैसा लूट कर ले जाते थे."

हालांकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज का दावा है कि पार्टी से बाहर जा कर आरोप-प्रत्यारोप लगाने वालों को नोटिस जारी किया जा रहा है और ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी की जाएगी.

दीपक बैज कहते हैं,''हमने कुछ लोगों को नोटिस जारी कर के स्पष्टीकरण मांगा है. पार्टी के ख़िलाफ़ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को हम नज़रअंदाज़ नहीं करेंगे. हमारा ध्यान फ़िलहाल तो लोकसभा चुनाव को लेकर है और हम पूरी ताक़त के साथ मैदान में उतरेंगे.''

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