नीट यूजी में अच्छी रैंक आने पर एम्स में एडमिशन : नीट यूजी में 650 अंक लाइए, महज 300 रुपए सालाना फीस में एम्स में एमबीबीएस की पढ़ाई
नीट यूजी में अच्छी रैंक आने पर एम्स में एडमिशन आसान है। पिछले 5 सालों का ट्रेंड देखें तो 650 से 670 अंक आने पर एम्स में आसानी से एडमिशन हो जाता है। यहां एमबीबीएस की एक साल की ट्यूशन फीस महज 300 रुपए है। साढ़े 4 साल के कोर्स की ट्यूशन फीस 1350 रुपए है। काॅशनमनी, होस्टल व अन्य मद में एक छात्र को पूरे कोर्स के लिए 5856 रुपए देना है। यह फीस फर्स्ट ईयर में एडमिशन के समय एकमुश्त देनी है। होस्टल सिक्योरिटी फीस 1000 रुपए रिफंडेबल है। यानी छात्र की पूरी पढ़ाई 4856 रुपए में हो जाती है।
एम्स रायपुर के अलावा प्रदेश के 13 सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस में एडमिशन का दौर शुरू हो गया है। एम्स में एमबीबीएस की 125 व प्रदेश में 1910 सीटें हैं। एम्स में पहले राउंड का प्रवेश खत्म होने वाला है। वहीं सरकारी व निजी कॉलेजों में 6 अगस्त को मेरिट सूची जारी की जाएगी। आवंटन सूची सोमवार को जारी होने की संभावना है।
छात्र 17 अगस्त तक एडमिशन ले सकेंगे। एम्स में 2012 से एमबीबीएस की पहली बैच के छात्रों का एडमिशन हुआ था। कम फीस व क्वालिटी एजुकेशन होने के कारण ही छात्र एम्स में प्रवेश के लिए लालायित रहते हैं। मेडिकल एक्सपर्ट व सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन व ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल के अनुसार छात्रों की पहली प्राथमिकता एम्स में एडमिशन होता है। इसके लिए वे नीट की बेहतर तैयारी भी करते हैं। इसमें कई छात्र सफल भी होते हैं।
सरकारी में 40 हजार, निजी में 8 लाख फीस
प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एक साल की ट्यूशन फीस 40 हजार रुपए है। वहीं अन्य मद मिलाकर 50 हजार रुपए फीस है। निजी कॉलेजों में एक साल की फीस 7.5 लाख से 8 लाख रुपए तक है। सरकारी कॉलेजों में लंबे समय से फीस नहीं बढ़ी है। बढ़ने की संभावना भी नहीं है। वहीं निजी कॉलेजों में पिछले साल फीस रिवाइज की गई थी। निजी में हर तीन साल में फीस रिवाइज करने का नियम है। 2025 में यह फीस रिवाइज की जाएगी। निजी कॉलेज अन्य मद में भी फीस लेते हैं, जिसकी मंजूरी डीएमई कार्यालय से लेते हैं।
केस-1
रायपुर की हर्षा देवांगन को नीट यूजी में 650 अंक मिले हैं। फर्स्ट अटेंप्ट में ही उनका रायपुर एम्स में एडमिशन हो गया है। पैरेंट्स का कहना है कि एम्स में पढ़ाई की क्वालिटी दूसरे कॉलेजों की तुलना में बेहतर है। फीस भी काफी कम है।
केस-2
दल्ली राजहरा के अभिनव साहू का नीट स्कोर 668 है। वह भी पहले ही प्रयास में एम्स नागपुर में एडमिशन लेने में कामयाब रहे। उनके चाचा कार्डियक सर्जन हैं। उनका कहना है कि एम्स एक ब्रांड है, जहां पढ़ाई करने का महत्व अलग है।
एक्सपर्ट व्यू
प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फीस कम रखी है। निजी में भी इंफ्रास्ट्रक्चर व जरूरी सुविधाओं के अनुसार फीस तय की गई है। एम्स के साथ सभी कॉलेजों में पढ़ाई अच्छी है।
-डॉ. विष्णु दत्त, डीएमई छत्तीसगढ़
एम्स का संचालन केंद्र सरकार करती है। इसलिए वहां एमबीबीएस की फीस कम है। निजी कॉलेजों को कई खर्च करने होते हैं। इसके बावजूद दूसरे राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में फीस कम है।
-डॉ. देवेंद्र नायक, चेयरमेन बालाजी मेडिकल कॉलेज
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