वन अधिकारी के पास अनुपातहिन संपति का मामला प्रकाश में आया है।
जंगल का रक्षक बनकर, जंगल के ही कई एकड जमीन को कर दिया अतिक्रमण ।
झोल्टूराम : वन विभाग में पदस्थ एक अधिकारी के पास उनके गृह ग्राम एवं ग़ृह ग्राम से सटे हूए नगर तथा अन्य ग्रामों में अनुपातहिन संपत्ति का मामला प्रकाश में आया है। जिसकी शिकायत एक आर टी आई कार्यकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार नई दिल्ली में की है ।
मिली जानकारी अनुसार महासमुंद जिले के वन विभाग में पद्स्थ अधिकारी के अपने ग़ृह ग्राम में आलिशान सर्व सुविधायुक्त करोडों रुपये की लागत से बंगला निर्माणाधीन है तथा अपने गांव में ही स्वयं के नाम पर तथा अपने पुत्र के नाम पर गृह ग्राम के साथ अन्य ग्राम में, एवं पुत्रवधु के नाम पर बेश किमती कृषि भूमि के साथ - साथ लग्जरी गाडीयां एवं कृषि संबंधी अत्याधुनिक संसाधन भी हैं । अपनी पत्नी के नाम पर नगर के रिहायसी इलाके में आलिशान मकान है । तथा उक्त अधिकारी अपने गृह ग्राम में अपने परिवार वालों के साथ मिलकर कई एकड जंगल की जमीन को अतिक्रमण कर खेत बनाया गया है ।
उक्त अधिकारी लम्बे समय से अपने मुल निवास क्षेत्र में ही पदस्थ रहा है तथा वन विभाग के अनेक कार्यों को अपने रिश्तेदारों तथा अपने करीबियों के माध्यम से कराया जा कर व्यापक पैमाने पर आर्थिक अनियमितता करते हुए गडबडियां की है । आर्थिक गडबडी कर अपार धन संपत्ति अर्जित की गयी है । शिकायतकर्ता ने बताया की उक्त कृत्य अधिकारी के भ्रष्ट आचरण को प्रदर्शित करती है । जानकारी तो यह भी बताया गया कि उनके द्वारा अपने आस-पास के ग्रामों में बडी तादात में अनुपातहिन संपत्ति बेनामी तौर पर रखी गयी है जो कि जांच का विषय है ।
उक्त अधिकारी अल्प वेतन भोगी रहा है हाल ही में उक्त अधिकारी का पदोन्नत हूई है उपरोक्तानुसार इतनी विशाल संपत्ति का मालिक कैसे हो गया उक्त अधिकारी द्वारा अर्जित कि गई चल-अचल संपत्ति मूल वेतन की सकल आय से कई गुना अधिक है । यह जांच का विषय है । शासकीय सेवा आचरण नियमों के अनुसार शासकीय सेवक को स्वयं तथा अपने परिवार के किसी भी सद्स्य के नाम से कोई भी चल-अचल संपत्ति क्रय करने के पूर्व विभाग से अनुमति लिया जाना आवश्यक होता है जो कि उक्त अधिकारी ने नहीं लिया है ।
उक्त पूरे मामले का RTI Activist रुपानंद सोई ने उक्त अधिकारी के विरुद्ध जांच कर आर्थिक अपराध से संबंधित मामला दर्ज किया जाकर उनकी अघोषित संपत्ति को जब्त कर दाण्डिक कार्यवाही किये जाने हेतु PMO में शिकायत कि है ।
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