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Chhattisgarh : पिछले 33 वर्ष से गांव में सूखी होली खेलने की परंपरा, देशभर में हो रही है इस गांव की चर्चा



गांव में हफ्तेभर पहले से ही मांस-मदिरा पर प्रतिबंध |

3 दिनों तक यज्ञ एवं विशाल भंडारे का आयोजन | 

60 गांवों के 12 हजार से ज्यादा लोग हर साल जुटते हैं |

सूखी होली में पानी का बिल्कुल उपयोग नहीं किया जाता । 

गरियाबंद : गांव में भक्तिमय माहौल में महिला-पुरुष एक साथ मिलकर केवल गुलाल से होली खेलते हैं। 3 दिनों तक यज्ञ एवं विशाल भंडारे का होता है आयोजन उसके बाद गांव में मनाई जाती है सुखा होली, इस होली की चर्चा दूर-दूर तक है, ऐसे में सैकड़ों की संख्या में दूरदराज के लोग भी यहां होली खेलने के लिए जुटते हैं।

मिली जानकारी अनुसार देवभोग ब्लॉक के सीनापाली गांव में पिछले 33 वर्ष से सूखी होली खेलने की परंपरा है। इस साल 34वें वर्ष में सूखी होली खेली जा रही है। इतना ही नहीं गांव में हफ्तेभर पहले से ही मांस-मदिरा पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है। होलिका दहन के 3 दिन पहले से यहां दूर-दूर से आए कीर्तन मंडली मांदर की थाप पर 'हरे कृष्ण हरे राम' का जाप अनवरत करते रहते हैं। गांव में भक्तिमय माहौल में महिला-पुरुष एक साथ मिलकर केवल गुलाल से होली खेलते हैं। इन 3 दिनों में विशाल भंडारे में एक साथ सभी भोजन भी करते हैं। इस होली की चर्चा दूर-दूर तक है, ऐसे में सैकड़ों की संख्या में दूरदराज के लोग भी यहां होली खेलने के लिए जुटते हैं। सीनापाली गांव की सूखी होली में पानी का बिल्कुल उपयोग नहीं किया जाता। यहां के ग्रामीण सिर्फ रंग-गुलाल लगाकर भाईचारे और शांति के बीच होली मनाते हैं।

होली के 3 दिन पहले से यज्ञ शुरू होता है और फिर होली के दिन सामूहिक भोज का आयोजन भी किया जाता है। खास बात यह है कि देवभोग के सीनापाली की इस होली में अब 60 गांवों के 12 हजार से ज्यादा लोग हर साल जुटते हैं। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत साल 1989 के हुड़दंग के बाद हुई थी। दरअसल उस साल होलिका दहन के दिन शराब के नशे में डूबे कुछ लोगों के बीच लडाई झगडा हो गई। इसके बाद पूरे इलाके में दहसत फैल गया। बड़ी  मुश्किल से स्थिति पर काबू पाया जा सका।


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