(News Credit by bhaskar news)
Chhattisgarh : अभी तक आपने सरकारी कार्यालयों में लाखों रुपए की हेराफेरी के बारे में पढ़ा और सुना होगा, लेकिन छत्तीसगढ़ के एक स्कूल में 77 लाख रुपए का घोटाला सामने आया है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी स्कूल में इतनी बड़ी रकम की हेराफेरी की गई है और शासन को चूना लगाया है। यह मामला है एशिया के सबसे बड़े ब्लॉक बिल्हा के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल बेलतरा का।
यहां पदस्थ प्राचार्य और क्लर्क ने ट्रेजरी के अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलीभगत कर एक लेक्चरर को बतौर एरियर्स 77 लाख रुपए का बिल बनाकर भुगतान भी कर दिया। इस गड़बड़ी का खुलासा विभागीय ऑडिट और प्राचार्य की शिकायत से हुआ, तब अफसरों की नींद उड़ गई। विभाग ने क्लर्क को सस्पेंड करने के साथ ही लेक्चरर को रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया और तीन सदस्यीय जांच कमेटी से जांच कराई। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अब प्राचार्य, लेक्चरर और क्लर्क को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ FIR दर्ज कराने की तैयारी है।
अब दोषियों के खिलाफ FIR कराने की चल रही तैयारी। |
दरअसल, पूरा मामले बेलतरा स्थित हायर सेकेंडरी स्कूल में साल 2018 से 2019 के बीच महज 11 माह 20 दिन के भीतर का है। तब वहां प्राचार्य नरेंद्र राठौर अवकाश पर थे। उन्होंने लेक्चरर पीएल मरावी को प्राचार्य का प्रभार दिया गया था। साथ ही पीएल मरावी को ट्रांजेक्शन का अधिकार भी दिया। आरोप है कि तब प्रभारी प्राचार्य मरावी, लिपिक कैलाश चंद्र सूर्यवंशी, लिपिक निर्मला सिदार और व्याख्याता पुन्नीलाल कुर्रे ने अलग-अलग तारीख में एरियर्स के 22 बिल देयक के लिए कोषालय (ट्रेजरी) में प्रस्तुत किया।
बिल लेक्चरर पुन्नीलाल कुर्रे के नाम से बनाया गया और 77 लाख 71 हजार 932 रुपए ट्रेजरी से ऑनलाइन खाते में जमा कराकर भुगतान भी करा लिया। मजेदार बात यह है कि शिक्षा विभाग और ट्रेजरी के जिम्मेदार अफसरों ने 11 माह के भीतर एरियर्स के लिए प्रस्तुत अलग-अलग बिल को नजर अंदाज कर दिया और आंख मूंद कर राशि जारी कर दी।
लेक्चरर और दो क्लर्क ने ट्रेजरी के अफसरों से मिलकर शासन को लगाया चूना। |
छुट्टी से लौटकर आने पर प्रिंसिपल राठौर ने भी इस तरह के फर्जी एरियर्स बिल पर ध्यान नहीं दिया और न ही खुद की ओर से प्रस्तुत बिल पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक अपनी अनुपस्थिति अवधि का पे बिल , बीटीआर और कैशबुक रजिस्टर भी उन्होंने नहीं देखा। जब एरियर्स बिल जारी करने पर ऑडिट आपत्ति आई और जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की गई, तब विभागीय अधिकारियों ने इसकी जांच कराई।
लेक्चरर के खाते में जमा हुआ 77 लाख रुपए। |
प्रभारी प्राचार्य की हो चुकी है मौत
जिस दौरान यह गड़बड़ी हुई, तब लेक्चरर पीएल मरावी स्कूल में पदस्थ रहे और प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी भी संभालते रहे। साल 2021 में गड़बड़ी का खुलासा होने के पहले ही कोरोना की दूसरी लहर में लेक्चरर मरावी का निधन हो गया। अब उनकी मौत के बाद पूरा घोटाला सामने आया है।
DEO ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई। कमेटी की जांच में पता चला कि स्कूल से अधिकांश दस्तावेज गायब कर दिए गए हैं। हालांकि ट्रेजरी के दस्तावेजों में 11 महीने में एक ही टीचर को 22 बार एरियर्स की राशि जारी करने का खुलासा हुआ। स्कूल में जो दस्तावेज उपलब्ध हैं। उसमें भी प्राचार्य की लापरवाही साफ तौर पर नजर आ रही है।
DEO बोले- जांच के बाद होगी कार्रवाई
DEO डीके कौशिक ने बताया कि गड़बड़ी सामने आने के बाद क्लर्क को सस्पेंड कर दिया गया है। लेक्चरर से वसूली और उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। एक महिला क्लर्क को भी नोटिस जारी किया गया है। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ FIR भी कराई जाएगी।
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