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वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं में हर्ष : पं. प्रमोद मिश्रा ने कहा वट सावित्री व्रत रखने से पति को मिलती है लंबी आयु





सुहागिन महिलाएं रखती हैं वट सावित्री का व्रत 

पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है वट सावित्री व्रत 


Vat Savitri Vrat 2022 इस वर्ष जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु की कामना में रखे जाने वाला वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाएं उत्साहित हैं। वे साल से कोरोना के कारण यह व्रत ठीक से नहीं मनाया गया था।

ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. इस साल वट सावित्री का व्रत 30 मई 2022 को रखा जाएगा. वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाओं की ओर से रखा जाता है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. माना जाता है कि पौराणिक समय में सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए यह व्रत रखा था. तभी से सभी सुहागिन महिलाएं यह व्रत रखती हैं. 30 मई 2022 को वट सावित्री व्रत के साथ ही सोमवती अमावस्या और शनि जयंती भी है.  

इस संबंध में पंडित प्रमोद मिश्रा राजासेवैया खुर्द ने बताया कि 29 तारीख रविवार को दोपहर 2.55 बजे अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी, जो 30 तारीख सोमवार शाम 5 बजे तक अमावस्या रहेगी। 

पंडित मिश्रा ने यह भी बताया कि वट की पूजा दोपहर 12 बजे की जाती है, 29 को चौदस तिथि रहेगी, इसलिए सोमवार ही उत्तम है। श्रद्धालु अपने हिसाब से दोनों में से किसी भी तारीख को यह व्रत रख सकते हैं। यह हर महिला को अपने पति की लंबी आयु के लिए रखना चाहिए। यह वट सावित्री व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के लिए परम आवश्यक व्रत है। सौभाग्य के लए यह व्रत करना चाहिए।

वट सावित्री व्रत से जुड़े कुछ खास नियम

वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिला को इस दिन नीले, काले या सफेद रंग के कपड़े गलती से भी नहीं पहनने चाहिए.

इस दिन महिलाओं को काली, सफेद या नीली रंग की चूढ़ियां भी नहीं पहननी चाहिए.

माना जाता है कि जो महिला पहली बार यह व्रत रख रही हो उसे इस व्रत की शुरूआत अपने मायके से करनी चाहिए.

कहा जाता है कि जो महिलाएं यह व्रत पहली बार कर रही हैं उन्‍हें सुहाग की सामग्री मायके की ही इस्तेमाल करनी चाहिए.

 

दो तरीके से रख सकते हैं वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत तीज और करवाचौथ के व्रत की ही तरह होता है. माना जाता है कि इसे आप दो तरीकों से उठा सकती है इसका पहला तरीका यह है कि आप इसे फल लेकर भी उठा सकती हैं मतलब आप पूजा के बाद फल का सेवन कर सकती हैं.

जबकि इसका दूसरा तरीका ये है कि आप वट वृक्ष पर चढ़ाई जाने वाली सभी चीजों का सेवन पूजा के बाद कर सकते हैं. यानी आप अन्न खा सकती हैं.

एक बात का ख्याल रखें कि अगर आप पूजा के बाद अन्न का सेवन करती हैं तो वह सात्विक होना चाहिए, मतलब उसमें प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.

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