छत्तीसगढ़ में बोहार भाजी मिलती है, जिसकी कीमत चिकन-मटन से भी अधिक (beneficial with healthy tasty Bohar Bhaji ) है. इसे गर्मी के दिनों में लोग खाते हैं ताकि शरीर में ठंडक बनी रहे.
(News Credit by etv bharat)
रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक भाजी ऐसी भी है. जो खेतों में नहीं बल्कि ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर उगती (beneficial with healthy tasty Bohar Bhaji ) है. इतना ही नहीं इस भाजी की कीमत चिकन, मटन और पनीर से भी ज्यादा है. आखिर ऐसी क्या वजह है कि इस भाजी की कीमत इतनी ज्यादा है? आखिर इस भाजी के क्या फायदे हैं और इसे लोग महंगे दामों पर क्यों खरीदते हैं? आइए जानते हैं...
दरअसल, इस भाजी का नाम है 'बोहार भाजी' है. आमतौर पर भाजियों में अमारी, चेंच भाजी, चना भाजी, प्याज भाजी, पालक, चौलाई, मेथी, लालभाजी खायी जाती है. साथ में कई तरह की और भी लोकल भाजी यहां लोकप्रिय है. इन्हीं में से एक है बोहार भाजी. बोहार भाजी छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी और लोकप्रिय भाजी है. यह भाजी साल के कुछ ही दिन मिलती है. जो सिर्फ गर्मी के मौसम में लगभग 1 से डेढ़ महीने ही मिलती है. इस भाजी की कीमत शुरू में हजार रुपए से ज्यादा भी होती है. हालांकि बाद में भाजी 200 से 400 रुपये किलो बिकने लगती है.
पेड़ों पर उगती है भाजी: बोहार भाजी उंचे पेड़ पर मिलती है. दरअसल बोहार की कलियां और कोमल पत्ते होते हैं, जो कुछ दिनों में फूल बन जाते हैं. इन्हें फूल बनने से पहले ही तोड़ना होता है. तभी ये खाने के काम आ पाती है. उंचे पेड़ की पतली डालियों तक पहुंच कर सिर्फ कलियों को अलग से तोड़ना भी आसान नहीं है. इसमें खतरा तो रहता है. जानकारी भी जरूरी होती है. इसलिये बोहार की भाजी तोड़ना हर किसी के बस की बात भी नहीं होती.
'बोहार भाजी' की खासियत: इस भाजी का स्वाद लाजवाब होता है. इस भाजी के खाने के कई लाभ भी हैं. माना तो यह भी जाता है कि साल में एक बार इस 'बोहार भाजी' को जरूर खाना चाहिए. छत्तीसगढ़ में तो यह भी कहा जाता है कि 'बोहार भाजी' नहीं खाया, तो क्या खाया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान एक ग्राहक ने कहा कि यह भाजी काफी फायदेमंद है. इसलिए इसे साल में एक बार जरूर खाया जाता है. ग्राहक यह भी कहते नजर आए कि छत्तीसगढ़ में बिकने वाली यह भाजी विदेशों में 1200 रुपए किलो बिकती है.
बोहार भाजी बनाने की विधि : बोहार भाजी अलग-अलग तरीके से बनाया जाता है. इसकी पहले छंटनी की जाती है. फिर उसे पानी में धोकर अलग से निकाल लिया जाता है. इसे तुअर की दाल के साथ भी बनाया जाता है. पहले दाल को उबाल लिया जाता है. इसके बाद हरी मिर्च, प्याज, लहसुन का तड़का लगाकर उसमें बोहार भाजी और फिर उसमें दाल को डालकर सुनहरा होने तक पकने दिया जाता है. इसमें इमली या दही भी मिलाकर बनाया जाता है.
बोहार भाजी में छुपा है सेहत का खजाना: न्यूट्रिशन डॉक्टर सारिका श्रीवास्तव बताती है कि इस भाजी की कली को हम उपयोग में लाते हैं. इसमें बहुत ज्यादा न्यूट्रीन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं. इसमें आयरन सहित तमाम ऐसे तत्व हैं जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होते हैं. डॉक्टर सारिका कहती हैं कि कोरोना काल में लोगों के इम्यूनिटी पावर पर काफी प्रभाव पड़ा है. ऐसे में इस भाजी के खाने से इम्यूनिटी पावर को भी बढ़ाया जा सकता है. यह भाजी हमें एनीमिया से बचाने का काम भी करती है. इसकी तासीर ठंडी होती है क्योंकि यह गर्मियों में ज्यादा मिलती है और ठंडी तासीर की वजह से यह हमारी पाचन क्रिया में काफी लाभदायक होती है.
अलग-अलग नाम से जानी जाती है यह भाजी: वैसे बोहार कोई ऐसा पेड़ भी नहीं है कि सिर्फ छत्तीसगढ़ में मिलता हो. ये कई प्रदेशों में मिलता है और अलग-अलग नाम से जाना जाता है. इसके फलों का अचार भी बनाया जाता है. बोहार का बॉटिनिकल नाम कोर्डिया डिकोटोमा है. अंग्रेजी में इसे बर्ड लाईम ट्री, इंडियन बेरी, ग्लू बेरी भी कहा जाता है. भारत के अन्य राज्यो में इसे लसोड़ा, गुंदा, भोकर जैसे नामों से जाना जाता है. लेकिन इसकी भाजी खाने का चलन सिर्फ छत्तीगढ़ में ही है.
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