(News Credit by Patrika)
तिपत घाम म नदिया, नरवा तीर-तिखार म फेर रुख छइंहा कलिंदर ल लेके डोकरी दाई बइठे रहिथे त लाली चानी कलिंदर खाय के मन करथे। घाम के बत्तर म अतेक मिठाथे की अंगठी ल चाब डारथन। सुवाद के संगे-संग ऐहा पानी अउ कतक पोसक जिनिस के गंगार ए। जउन ह हमर सरीर के साथ सुग्घरता ल घलो बढ़ाथे।
कलिंदर के गुन
कलिंदर देह म पानी के कमी ल पुरती करथे। संग म ऐमा भरे बोजाय बिटामिन अउ मिनरल्स ह सक्ति लाथे। कलिंदर हमर काया ल सुखान नइ देवय।
कलिंदर म बड़े मातरा म एंटीऑक्सीडेंट्स पाय जाथे। जउन बढ़त उमर के थकावट ल कम करे के साथ तनाव ल घलो कम करे म मदद करथे।
कलिंदर ल रोज खाय ल दिल के दउरा ल बचाथे। जउन ह खून नलिका म खून के थक्का बने म रोके के उपाय करथें।
कलिंदर के रोज खवाई अउ ऐकर चानी ल गाल म मले ल देह हअब्बड़ चमके लागथे। घाम म झुररी परे चाम ह बढिय़ा हो जाथे अउ दह म नमी के संगे-संग ताजगी लाथे।
कलिंदर म बिटामिन ए आंखी, देहे अउ चुन्दी बर फायदामंद होथे। ऐकर साथ बीटा कैरोटीन घलो पाय जाथे जउन ह आंखी के बर फायदामंद होथे।
रामबान के काम करथे कलिंदर
कोनो जादा मोट होगे हे त कलिंदर खाय ले वजन कम होथे। काबर ऐमा अबड़ मातरा ले फाइबर अउ पानी होथे, जेहा मोटहा चाम ल कम करथे। ऐमा सक्कर के मातरा घलो ह कम होथे। जोन बजन ल बढ़ाय ले रोकथे। पाचन सम्बन्धित कुछु समस्या ले कलिंदर खाय ल फायदामन्द होथे। कब्ज के समस्या ल दूर रखथे। गरमी के बखत पेट अउ सरीर म गरमी बढ़े हे त खाय ले ठंडा करथे। चोला ल तर करथे। गरमी के दुसपरभाव ल रोकथे। गरमी म रामबान के काम करथे।
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