(News Credit by Patrika)
महासमुंद. जिले के अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को चार दिन से गर्म भोजन नहीं मिल रहा है। फिर भी महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है। अधिकारी यही कह रहे हैं कि गर्म भोजन बंट रहा है, पर उनके दफ्तर के नजदीक के ही आंगनबाड़ी केंद्र की पड़ताल की गई तो बताया कि गर्म भोजन का संचालन बंद है।
दरअसल, छग जूझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका कल्याण संघ अपनी सात सूत्रीय मांग को लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारी को 16 फरवरी को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों के संबंध में अवगत कराया था। संघ की प्रदेश उपाध्यक्ष सुधा रात्रे व जिला अध्यक्ष सुलेखा शर्मा ने बताया कि जिला कार्यक्रम अधिकारी को पूर्व में ज्ञापन सौंपा गया था। लंबित राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। लड्डू भुगतान की राशि 2018 से लंबित है। वहीं सूखा राशन की 40 प्रतिशत की राशि, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की राशि, गर्म भोजन की राशि, हड़ताल अवधि की 22 की राशि व विभागीय कार्य के लिए रजिस्टर की अनुपलब्धता आदि को लेकर मांग की गई थी। मांग पूरी नहीं होने पर एक मार्च से गर्म भोजन बच्चों को नहीं दिया जा रहा है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी समीर पांडे ने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई ज्ञापन नहीं मिला है। उनकी जानकारी में अभी कोई भी केंद्र नहीं है, जहां गर्म भोजन नहीं बंट रहा है। इसके बाद पत्रिका की टीम ने आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा किया। महिला एवं बाल विकास विभाग के पास ही केंद्रों में ही गर्म भोजन का संचालन नहीं होने की जानकारी मिली। पिटियाझर, मौहारीभांठा आदि केंद्रों में गर्म भोजन नहीं मिल रहा है।
रसोइया संघ ने भी दी धरना की चेतावनी
मध्यान्ह भोजन रसोइया संघ भी तीन सूत्रीय मांग को लेकर 11 मार्च को धरना प्रदर्शन कर रैली निकालेगा। संभाग अध्यक्ष नीलू ओगरे ने बताया कि रसोइया श्रमिक संघ का वेतन कलेक्टर दर पर दिया जाना चाहिए। बजट सत्र 2019-20 के दरमियान मुख्यमंत्री के द्वारा 300 रुपए की वृद्धि की घोषणा की गई थी। मानदेय व एरियर्स साथ में दिया जाना चाहिए। स्कूल में छात्रों की संख्या कम होने पर रसोइयों को हटा दिया जाता है, इस नियम पर रोक लगाई जानी चाहिए। धरना-प्रदर्शन रायपुर के बूढ़ा तालाब में किया जाएगा।
बच्चे लौट रहे
गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए विभाग द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई है। चार दिन से केंद्रों से बच्चे वापस लौट रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक संचालन बंद रहेगा। पूर्व में भी कई बार आंदालेन व धरना दिया जा चुका है।
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