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Education news : महासमुंद जिले में शिक्षक की मांग को लेकर बनपचरी गांव के पालक व ग्रामीणों ने शनिवार को शासकीय प्राथमिक शाला में ताला जड़ दिया। तत्काल शिक्षक की व्यवस्था होने के बाद स्कूल का ताला खुला।
(News Credit by Patrika)
Education news : महासमुंद जिले में शिक्षक की मांग को लेकर बनपचरी गांव के पालक व ग्रामीणों ने शनिवार को शासकीय प्राथमिक शाला में ताला जड़ दिया। तत्काल शिक्षक की व्यवस्था होने के बाद स्कूल का ताला खुला।
मिली जानकारी के अनुसार बनपचरी प्राथमिक शाला में दो शिक्षक पदस्थ थे। इसमें एक शिक्षक के पदोन्नत होने के बाद मिडिल स्कूल में जाने और दूसरे शिक्षक को विभाग द्वारा व्यवस्था के तहत प्राथमिक शाला कनेकेरा भेजे जाने के बाद स्कूल में अध्ययनरत 90 बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। ग्रामीणों ने इस संबंध शिकायत शिक्षा विभाग और विधायक से भी की थी, लेकिन विभाग ने शिक्षक की व्यवस्था नहीं की।
नाराज पालकों व ग्रामीणों ने बैठक कर स्कूल में तालाबंदी करने का निर्णय लिया। शनिवार की सुबह पालकों ने सुबह सात बजे से स्कूल में तालाबंदी की। शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। ग्रामीणों ने कनेकेरा में व्यवस्था के तहत भेजे गए शिक्षक को वापस स्कूल में लाने की मांग की। पालकों के प्रदर्शन के बाद बीईओ भी मौके पर पहुंचे। पालकों को मनाने की कोशिश की। पालकों ने नहीं मानने पर व्यवस्था में भेजे गए शिक्षक को वापस स्कूल में बुलाया गया। इसके बाद ही ताला खोलकर परीक्षा प्रारंभ की गई। जिला शिक्षा अधिकारी एस चंद्रसेन ने बताया कि स्कूल में शिक्षक की व्यवस्था कर दी गई है। शनिवार होने के कारण सुबह से शाला संचालित होती है, तो ग्रामीण खोलने नहीं दिए। सुबह ही टीम गई थी। इसके बाद ही स्कूल खोला गया। पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है।
स्थानांतरण की मांग
शासकीय उच्च प्राथमिक शाला सरेकेल में प्रदस्थ प्रधान पाठिका के स्थानांतरण की मांग पालकों ने की है। स्थानांतरण नहीं करने पर पालकों ने तालाबंदी की चेतावनी दी है। पिछले दिनों ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है। ग्रामीण नारायण व नरेंद्र ने बताया कि उच्च प्राथमिक शाला में पदस्थ प्रधान पाठिका का स्थानांतरण अन्य स्कूल में हो। मांग करने वालों में जयसिंह, परसुराम, नेतराम, सुरेश, पवन आदि शामिल हैं।
शिक्षकों की कमी
जिला शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार महासमुंद जिले में 1281 प्राथमिक शाला हैं। कुल 259 स्कूलों में एक-एक शिक्षक की नियुक्ति है। वहीं 491 माध्यमिक शाला हैं। इनमें 8 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक शिक्षक पर बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है। विषयों के शिक्षक नहीं होने से एक शिक्षक को ही सभी विषय छात्रों को पढ़ाना पड़ता है। इसके अलावा स्कूल से संबंधित अन्य कार्य भी शिक्षक को अकेले ही करना पड़ता है।
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