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जन्माष्टमी में दही हांडी फोड़ने के दौरान तीन साल पहले हुआ विवाद चंद मिनट में समाप्त , पिथौरा में लोक अदालत आयोजित

 




जन्माष्टमी में दही हांडी फोड़ने के दौरान तीन साल पहले हुआ विवाद चंद मिनट में समाप्त


पिथौरा में लोक अदालत आयोजित


पिथौरा- आज से तीन साल पहले जन्माष्टमी के अवसर पर दही हांडी फोड़ने के दौरान पानी छिटने की बात को ले कर ग्राम ढाबाखार में विवाद हो गया था,देखते ही देखते विवाद इतना बढ़ गया कि आपस में लाठी डंडा चलने लगे लिहाजा गांव में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी । मामला पुलिस तक जा पहुंचा । तब पुलिस के हस्क्षेप से मामला शांत तो जरूर हो गया किंतु पुलिस ने पाँच लोगो के विरुद्ध अपराध दर्ज कर पिथौरा के न्यायालय में मामला पेश किया था । आज आयोजित नेशनल लोक अदालत में पीठासीन अधिकारी सौरभ बारा के खंडपीठ में मामले को रखा गया और दोनों पक्षों को बुला कर समझाईस दी गई । तथा आपस में भाईचारा बना कर रहने हेतु कहा गया जिससे दोनों पक्ष सहर्ष तैयार हो गए परिणाम स्वरूप तीन सालों से चला आ रहा विवाद चंद मिनट में समाप्त हो गया ।दोनों पक्ष गले मिल कर घर चले गए ।



दूसरा मामला 
पाँच वर्ष पुराना वर्ष २०२० का है ग्राम सोनासिल्ली में अंडा ठेला लगाये जाने को ले कर विवाद होने से पिथौरा के न्यायालय में फ़ौजदारी चल रहा था था,उस मामले में भी न्यायाधीश सौरभ बारा ने दोनों पक्ष को समझा कर मामले में राजीनामा कराया ।



बता दें कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद के दिशा निर्देश में पिथौरा में आज १३ सितम्बर को नेशनल लोक अदालत आयोजित की गई थी जिसमे मामलों को आपसी सहमति से तत्काल निपटाने के प्रावधान था लोक लदालत में जो भी मामले का निबटारा होता है, उसमें कोई भी पक्ष हारता नहीं है। बल्कि दोनों पक्ष की जीत होती है।


ज्ञात हो कि नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक मामलों के निराकरण के लिए पूर्व में बैठकें आयोजित की गई थी तथा जोर सोर से तैयारी चल रही थी परिणाम स्वरूप ४५८ प्रकरणों का मौके पर ही निराकरण हुआ और समझौते शुल्क के रूप में कुल १२८७१०० ₹ की वसूली भी हुई है ।


लोक अदालत का उद्देश्य क्या होता है-
लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य विवादों का सौहार्दपूर्ण और शीघ्र निपटारा करना, न्याय को सभी के लिए सुलभ बनाना, और न्यायालयों पर पारंपरिक मुकदमेबाजी का बोझ कम करना है. यह विवादों को मध्यस्थता, सुलह और आपसी समझौते के माध्यम से सुलझाता है, जिससे समय और धन की बचत होती है ।यह एक वैकल्पिक विवाद निवारण मंच है जहाँ पक्षकार अपने विवादों को आपस में समझौते के माध्यम से सुलझाते हैं।लोक अदालतें मुकदमों का शीघ्र निपटारा करती हैं, जिससे लोगों को न्याय मिलने में देरी नहीं होती ।

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