बैंक में दिब्यांगजन, बुजूर्ग एवं गर्भवती महिलाऐं बिना किसी साहारा के डरे सहमे सीढी में आते जाते हैं , कभी भी घट सकती है अनहोनी घटना
पिथौरा : दिब्यांगजन अधिकार अधिनियम में बने कानून के तहत किसी भी सरकारी या प्राइवेट पब्लिक सेक्टर में दिब्यांगजन के लिए बाधामुक्त वातावरण प्रदान करना अति आवशयक है ।
बाधामुक्त वातावरण का उद्देश्य दिब्यांगजन के लिए ऐसा वातावरण प्रदान करना है जो दिब्यांगजन के स्वतंत्र कार्यों में सहायता करता है ताकि वे प्रत्येक दिन के कार्यकलापों में बिना किसी की सहायता से अपना काम आसानी से कर सकें । लेकिन पिथौरा में स्थित छत्तीसगढ ग्रामीण बैंक में इस कानून का पालन नहीं किया जा रहा है । जिसकी शिकायत भारतीय रिजर्व बैंक से कि गई है ।
मिली जानकारी अनुसार जिला महासमुंद अंतर्गत पिथौरा में छत्तीसगढ ग्रामीण बैंक संचालित है, उक्त बैंक में आने-जाने के लिए 10-12 फीट ऊंचाई सीढी में किसी प्रकार के सहारा के बिना चढना-उतरना पडता है । बुजूर्ग एवं दिब्यांगजन तथा गर्भवती महिलाऐं डरे सहमे बैंक के सीढीयों में आने-जाने को मजबुर हैं । इस प्रकार बाधायुक्त भवन में बैंक संचालित है । जबकी दिब्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत दिब्यांगजन बुजूर्ग एवं गर्भवती महिलाओं के लिए बाधामुक्त वातावरण होना अनिवार्य है ।
भारत का संविधान सभी ब्यक्तियों के लिए समता, स्वतंत्रता, न्याय और सम्मान सुनिश्चित करता है दिब्यांगजन समेत सभी के लिए एक समरस समाज की परिकल्पना करता है । हाल के वर्षों में समाज की सोच दिब्यांगजन के लिए व्यापक और सकारात्मक परिवर्तन आया है । अधिकांश दिब्यांगजन बेहतर जीवन व्यतीत कर सकते हैं यदि उनके पास समान अवसर हो और पुनर्वास संबंधी उपयो के लिए प्रभावी पहूंच हो इसके लिए भारत में दिब्यांगजन अधिकार अधिनियम कानून लागू है उक्त कानून का छत्तीसगढ ग्रामीण बैंक पिथौरा के द्वारा खुला उल्लंघन किया जा रहा है ।
कोई भी दिब्यांग या बूजुर्ग व्यक्ति इस बैंक में आसानी से नहीं आ-जा सकता है जान जोखिम में डालकर कई सिढी चढने-उतरने के लिए मजबूर हैं । छत्तीसगढ ग्रामीण बैंक पिथौरा के बैंक प्रबंधक रोहित कुमार ने बताया की बुजूर्ग एवं दिब्यांगजन के लिए यह भवन उपयुक्त नहीं है , शिकायत मिलने पर उच्चाधिकारी को अवगत कराने की बात कही है । इस पुरे मामले का रूपानंद सोई के द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक के समक्ष शिकायत की गई है ।
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