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Mid day meal पिथौरा : मध्यान्न भोजन में बच्चों के सेहत के साथ खिलवाड , बच्चों को परोस रहे हैं मिट्टी कंकड एवं चरोठा बीज युक्त दाल


रूपानंद सोई - 94242-43631

पिथौरा : शासन द्वारा स्कुलों में बच्चों को गुणवत्ता व पोषण युक्त भोजन प्रदान करने के लिए मध्यान्न भोजन (Mid day meal) योजना शुरू कि गई है । पिथौरा विकास खण्ड के स्कूलों में दिए जाने वाले मध्यान्न भोजन में गड़बड़ी और गुणवत्ता को लेकर सवाल आम बात है। स्कूली बच्चों को पौष्टिक एवं सेहतमंद खाना मिल सके इसके लिए महासमुंद कलेक्टर ने मध्यान्‍ह भोजन की व्यवस्था और गुणवत्ता दुरुस्त करने के लिए समय-समय पर फरमान जारी करते रहे हैं। लेकिन स्कुलों में मध्यान्‍ह भोजन की व्यवस्था और गुणवत्ता को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं हैं । अधिकारियों कि उदासिनता के कारण प्रधानपाठक एवं समुह के साथ मिलिभगत के चलते बच्चे इस योजना की लाभ से वंचित हो रहे हैं । इस योजना के तहत लाखों रूपये खर्च किये जा रहे हैं उसके बावजूद आज भी बच्चों को गुणवत्ता युक्त और मेनू के अनुसार से भोजन नहीं मिल पा रहा है ।

आपको बता दें दिनांक 30/11/2023 को पिथौरा नगर में स्थित एक सरकारी स्कूल में  पचरत्न दाल के नाम से मिट्टी कंकड एवं चरोठा बीज युक्त  घटीया दाल बनाने की तैयारी में थे । उसी समय उस स्कूल के कुछ पालक स्कूल में बन रहे मध्यान्न भोजन को देखने की इच्छा जताई और शिक्षक से मिलकर उक्त  मध्यान्न भोजन में उपयोग में लाये जाने वाले राशन सामग्री को देखा । 

उक्त राशन सामाग्री को देखते ही पालकगणों एवं शिक्षकों की होश उड गये , वहां पकाने वाली दाल में चरोठा बीज एवं मिट्टी कंकड से भरा हुआ निम्न स्तर का घटीया दाल जो खाने लायक नहीं था । चौकाने वाली बात यह है कि उक्त स्कूल में कूल दर्ज संख्या प्राथमिक और माध्यामिक स्कूल में 400 छात्र से अधिक है लेकिन लगभग 4 किलो आलू, तीन नग प्याज एवं दो नग लहसुन थोडा सा खाने की तेल और मसाला इतने राशन सामग्री से महिलाऐं मध्यान्न भोजन बनाने की तैयारी में थे । 



मध्यान्न भोजन संचालित करने वाले महिलाओं से जब पालकगणों ने इस बारे में चर्चा की तो उन्होने बताया कि शासन से उनको कम राशि मिलती है इसी राशन सामाग्री से कुछ पैसे अपने लिए बचा लेते हैं और आज पहली बार राशन सामान में गडबडी हूई है और दोबारा गलती नहीं करने की बात कही। इसी तरह बच्चों के भोजन में भी डाका डाला जा रहा है और पुरा शिक्षा विभाग का मौन सहमति है । 

पूरे मामले की पिथौरा के सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारिका पटेल को अवगत कराने के बाद भी आजतक उक्त महिला समिति के खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं कि गई जबकी कायदे से छोटे-छोटे बच्चों के लिए बनाये जा रहे भोजन में इस तरह से जानबुझकर खिलावाड करने वाले उक्त महिला समिति को तत्काल हटाना चाहिए था । लेकिन आज भी वही महिला समिति के जिम्मेदारी में मध्यान्न भोजन योजना संचालित हो रही है ।

पिथौरा में कूल 408 स्कूलों में संंचालित है मध्यान्न भोजन योजना 
आपको बता दें विकास खण्ड पिथौरा में कूल 408 स्कूलों में 26 हजार 8 सौ 26 छात्र अध्यनरत है जिसमें 288 प्राथमिक शाला में 16384 छात्र तथा 120 माध्यमिक शाला में 10442 छात्र हैं । 

मध्यान्न भोजन बनाने हेतु चावल को छोडकर प्राथमिक शाला के एक बच्चे के लिए प्रतिदिन 5 रूपये 69 पैसे वहीं माध्यमिक शाला के बच्चे के लिए 8 रूपये 17 पैसे शासन खर्च करती है ।
 
बच्चों को दी जाने वाली मध्यान्न भोजन की मात्रा 
वहीं अगर खाद्यान्न मात्रा की बात करें प्राथमिक शाला के एक बच्चे के लिए प्रतिदिन अनाज - 100 ग्राम, दाल-20 ग्राम, हरा सब्जी -50 ग्राम, तेल - 5 ग्राम, तथा नमक आवश्यकतानुसार ।

माध्यमिक शाला के  एक बच्चे के लिए प्रतिदिन अनाज - 150 ग्राम, दाल-30 ग्राम, हरा सब्जी -75 ग्राम, तेल - 7.5 ग्राम, तथा नमक आवश्यकतानुसार प्रावधान है ।

मध्यान्न भोजन के मिनू इस प्रकार है - 
सोमवार - चावल के साथ सांभर दाल एवं पापड 
मंगलवार - चावल के साथ पचरत्न दाल एवं सब्जी  
बुधवार - चावल के साथ दाल फ्राई, सब्जी एवं आचार 
गुरुवार - चावल के साथ पचरत्न दाल एवं सब्जी  
शुक्रवार - चावल के साथ दाल फ्राई, सब्जी एवं आचार पापड 
शनिवार - दुध के साथ खीर व अंकूरित चना
 
ये हैं विभाग के जिम्मेदार
पिथौरा विकास खण्ड में कूल 408 स्कूलों में मध्यान्न भोजन योजना संचालित है जिसमें 26,826 छात्र हैं उक्त योजना का सुचारू रूप से संचालन हेतु  विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, बीआरसी, 2 सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी, एवं 42 संकुल समन्वयक, 408 प्रधान पाठक  एवं सभी स्कूलों के शाला विकास समिति के निगरानी में बच्चों को दी जाती है पौष्टिक आहार उसके बावजूद मध्यान्न भोजन में बच्चों के सेहत के साथ खिलवाड किया जा रहा है । 

पिथौरा में ही कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक प्रतिदिन मध्यान्न भोजन की गुणवत्ता परखने के बाद ही बच्चों को भोजन देते हैं। वही दुसरी ओर अधिकांश स्कूलों में बच्चों को केवल व्यवहारिकता के लिए मध्यान्न भोजन  परोसा जा रहा है विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते बच्चों को मीनू के आधार पर खाना तो मिल ही नहीं रहा है बल्कि जो भोजन परोसा जा रहा है वह भी स्तरहीन है इसके सुध लेने वाला कोई नहीं है ।
  

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