News Credit By bhaskar news
धान के भरोसे चुनावी फसल ‘कका के काट नई ए’ भाजपा के ‘विजय तिलक का संकल्प’ का चुनाव में क्या असर होगा
कहा जाता है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार धान के खेत से निकली थी। किसानों का कर्ज़ा माफ़ करने और 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान ख़रीदने की घोषणा का जादू ऐसा चला कि 15 सालों तक सत्ता में रही भाजपा, 15 सीटों पर सिमट गई थी।
इस बार फ़िर किसानों का कर्ज़ माफ़ करने और 15 क्विंटल प्रति एकड़ की जगह 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान ख़रीदी का वादा कांग्रेस ने किया है। इस साल 26 लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है, जिनमें लगभग ढ़ाई लाख नए किसान हैं। एक नवंबर से धान की ख़रीदी भी शुरू हो गई है। हालांकि पहले दिन कुछ ही इलाकों में धान ख़रीदी की ख़बर है लेकिन चुनाव प्रचार के साथ-साथ धान ख़रीदी के आंकड़े भी तेज़ी से बढ़ेंगे।
कांग्रेस को भरोसा है कि प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान बेचने वाली जनता, इस बार फिर उस पर भरोसा जताएगी। धान की तरह चुनावी फसल को काटने की कांग्रेस की इस तैयारी का जवाब, अभी भाजपा की तरफ़ से आना बाकी है। हालांकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कांग्रेस पार्टी की घोषणाओं पर तंज कसते हुए ज़रुर यह कहा है कि कांग्रेस घबरा गई है, इसलिए एक के बाद एक घोषणाएं कर रही है। रमन सिंह ने कहा कि भूपेश बघेल अब 40 दिन के मुख्यमंत्री हैं।
इधर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर सुकमा में कांग्रेस पार्टी के लिए वोट मांगा। खरगे ने इस अवसर पर केंद्र पर जम कर निशाना साधा। खरगे ने कहा कि हमें ईडी और विजिलेंस से डराते हैं।
झूठे केस में पकड़कर अंदर कर देते हैं। लेकिन इन लोगों से हम डरेंगे नहीं। इस मुल्क को आजादी दिलाते वक्त हम नहीं डरे, ये लोग तो लड़े नहीं, सब फोकट में मिला। खरगे ने अपने भाषण में कहा कि जल जंगल जमीन पर आदिवासियों का जो अधिकार है उसे हमें जीवित रखना है। ये आदिवासियों की जो लड़ाई है, उसमें कांग्रेस हमेशा मदद करती आई है।
खरगे ने जिस इलाके में सभा की, वहां कोंटा विधानसभा से कवासी लखमा पिछले 25 सालों से विधायक हैं, सरकार में मंत्री हैं और बस्तर के प्रभारी भी हैं। लेकिन अपना इलाका छोड़ कर वे दूसरी जगहों में प्रचार करने भी नहीं जा पा रहे हैं। एक तरफ़ जहां भाजपा तो दूसरी तरफ़ भाकपा के उम्मीदवारों ने उन्हें घेर रखा है। कवासी लखमा क्या छठवीं बार भी विधायक बन पाएंगे, ये एक बड़ा सवाल है।
अब बात गीत-संगीत की। नेताओं के भाषण के अलावा सोशल मीडिया पर अब राजनीतिक दलों के गीत भी गूंजने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने हिंदी, छत्तीसगढ़ी और हल्बी में अपना थीम सांग ‘विजय तिलक का संकल्प हमारा’ जारी किया है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ‘कका के काट नई ए’ जैसे कई गीतों के साथ युवाओं को लुभाने की कोशिश में है। दोनों ही पार्टियों ने छोटी विज्ञापन फ़िल्में तो बनाई ही हैं, वेब सीरीज की तर्ज़ पर छोटी-छोटी फ़िल्में भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
चुनाव प्रचार के तरीके बदले हैं और सोशल मीडिया प्रचार का सबसे बड़ा हथियार बन चुका है। लेकिन मुश्किल ये है कि कभी घर-घर जा कर वोट मांगते हुए, चेहरा-मोहरा देख कर मतदाता के मूड को भांपने का जो पारंपरिक तौर-तरीक़ा था, वैसा अनुमान सोशल मीडिया पर लगा पाना थोड़ा मुश्किल है। रही-सही कसर बोट्स ने पूरी कर दी है, जो मनमाने आंकड़े बना-बिगाड़ सकते हैं।
अब बात आज के कार्यक्रमों की। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की सभा छत्तीसगढ़ में होगी। छत्तीसगढ़ में भाजपा उम्मीदवारों की सबसे बड़ी डिमांड जिस स्टार प्रचारक की है, वो स्टार प्रचारक उत्तरप्रदेश के मु्ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आज छत्तीसगढ़ में होंगे। कल यानी तीन नवंबर को प्रियंका गांधी चुनावी सभा के लिए छत्तीसगढ़ पहुंचेंगी तो चार नंवबर को राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में होंगे। इन धुआंधार चुनावी अभियानों पर हमारी भी नज़र रहेगी।
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