मनमानी : महिला सरपंचों के अधिकार छिनकर एस पी (सरपंच पति) कर रहे हैं पंचायतों का काम, पंचायत में इनके दखल से ग्रामीण परेशान , ग्रामीणों ने महिला को चुनकर अपना सरपंच बनाया लेकिन हर छोटे-बडे काम के लिए महिला सरपंच के पति के कई चक्कर काटने को ग्रामीण मजबुर हैं क्योंकि पति के बिना हस्तक्षेप में कहीं पर भी नहीं चलती है कलम ।
रूपानंद सोई 94242 - 43631
पिथौरा : शासन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने व महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण किया है, तब से महिलाओं की स्थानीय शासन में भागीदारी बढ़ी है । लेकिन पिथौरा ब्लाॅक के अधिकतर ग्राम पंचायतों में मुख्य रूप से सरपंच पति उनके कामकाज की बागडोर संभाले हुए हैं। पिथौरा जनपद पंचायत अंतर्गत 126 ग्राम पंचायतों में 63 से अधिक महिला सरपंच हैं लेकिन यहां महिला सरपंच का नहीं बल्कि सरपंच पति का राज चलता है, सरपंच पति पंचायत के हर काम में शामिल रहता है।
पिथौरा ब्लाॅक के कई ग्राम पंचायतों में सरपंच पति की व्यवस्था से ग्रामीण भी नाराज हैं, ऐसे में उनसे पंचायत में विकास की कैसे अपेक्षा की जा सकती है। यह महत्वपूर्ण विषय है। मनरेगा, गौठान निर्माण, नाली निर्माण सहित अन्य सभी कार्यों में महिला सरपंच की जगह उनके पति काम करवाते हैं।
कोई ग्रामीण जब अपने काम से पंचायत पहुंचते हैं तो वहां भी सरपंच के बजाय सरपंच पति मिलता है।
ऐसा ही मामला पिथौरा विकास खण्ड अंतर्गत अनेक ग्राम पंचायतों का है यहां के ग्रामीणों के बताए अनुसार महिला सरपंच पंचायत में कभी नहीं बैठती हैं। पंचायत से सबंधित हर छोटे बडे कार्यों के लिए सरपंच के पति के चक्कर काटने पडते हैं ।
ग्राम पचायतों में महिला सरपंचों के अबतक के कार्यकाल में कई लाख रुपये का विकास कार्य कराये जा चुके हैं । लेकिन उक्त राशि से कराये गये विकास कार्यों में हुए खर्च के बारे में महिला सरपंचों के साथ - साथ उस पंचायत के पंचों को भी इसकी जानकारी नहीं होती है ।
ग्राम पंचायत कार्यालय में महिला सरपंचों के नहीं बैठने से उनके सचिव भी परेशान रहते हैं पंचायत संबंधी सभी कार्य के लिए सरपंच के घर जाना पडता है । तथा हर काम में उनके पति दखल रहता है । जिसके कारण ग्रामीण भी परेशान रहते हैं ।
मदद की आड़ में महिला सरपंच से अधिकार छीन रहे
पिथौरा ब्लाॅक के अधिकतर ग्राम पंचायतों में जब ग्रामीणों से पूछा गया कि उनका सरपंच कौन है तो ग्रामीणों ने महिला सरपंच के बजाय उनके पति का नाम लिया। ग्राम पंचायतों में यह पद सरपंच से अधिक प्रभावी है रोचक बात यह है कि इन्हें गांव में तथा जनपद में भी लोग सरपंच पति के जगह उन्हें शार्ट नेम में एस पी साहाब कहते हैं । पंचायत का काम उनके पति याने एस पी साहाब करते हैं। महिला सरपंचों की मदद की आड़ में सरपंच पति उनका अधिकार छीनने में लगे हुए हैं। ग्राम पंचायतों में महिलाओं की आरक्षित सीट पर पुरुष चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए वे अक्सर अपनी पत्नी को चुनाव में खड़ा कर देते हैं। जीतने के बाद अपना दबदबा कायम रखते हैं और एस पी साहाब बनकर वे अपनी पत्नी को मोहरे के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
पंचायत में सगे संबंधियों के हस्तक्षेप पर रोक लगाने हेतु शासन द्वारा जारी आदेश का नहीं हो रहा है पालन
छत्तीसगढ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय रायपुर द्वारा दिनांक 22/06/20210 को आदेश जारी कर पंचायत के काम-काज संचालन के दौरान पंचायत कार्यालय परिसर के भीतर महिला पदाधिकारियों को उनके कोई भी सगे संबंधी/रिश्तेदार पंचायत के किसी कार्य में हस्तक्षेप/दखलअंदाजी नहीं करेंगे । किसी विषय पर भी सुझाव/निर्देश नहीं देंगे अन्यथा संबंधित महिला पंचायत पदाधिकारियों के विरुद्ध पंचायतराज अंतर्गत कार्यवाही किये जाने हेतु पंचायत विभाग को निर्देशित किया गया है । लेकिन उक्त आदेश का किसी भी पंचायत में पालन होते दिखाई नहीं दे रहा है ।
जांच के बाद होगी कार्रवाई
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस संबंध में कहा कि जिन ग्राम पंचायतों में महिला सरपंच है, वहां उन्हें ही काम करना है। उन्होंने कहा कि अगर उनके पति ग्राम पंचायत के काम में हस्तक्षेप करते हैं तो शिकायत मिलने पर हम जांच के बाद कार्रवाई करेंगे।
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