रायपुर : छत्तीसगढ़ बीजेपी में लगातार संभावित प्रत्याशियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं का विरोध जारी है। कोलता समाज के लोग बड़े नेताओं से मिलने की तैयारी में है। समाज के कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमें पैराशूट लैडिंग नहीं चाहिए।
दरअसल, बसना विधानसभा सीट से सम्पत अग्रवाल का नाम चर्चा में है, जिसके कारण खासकर कोलता समाज के कार्यकर्ता नाराज हैं।
जमीनी कार्यकर्ता को मिले टिकट
पिछले विधानसभा चुनाव में सम्पत अग्रवाल ने निर्दलीय चुनाव लडकर भाजपा को काफी नुकसान पहुचाया था नहीं तो उस समय का चुनाव परिणाम कुछ और होता । जो कार्यकर्ता कई वर्षों से पार्टी से जुडकर अपने योगदान दे रहे हैं चाहे जो भी समाज के हो टिकट उसे मिलनी चाहिए जो व्यक्ति जब चाहे पार्टी छोड दे मौके का लाभ लेने हेतु पार्टी में पुनः वापसी कर ले ऐसे लोगों को टिकट दिया जाना जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ धोखा है ।
संभावित सूची में कोलता समाज से एक भी नाम नहीं होने से समाज के लोग निराश हैं। समाज ने 90 में से कम से कम 1 सीट देने की अपनी मांग कर रही है। बता दें कि 2003 में त्रिविक्रम भोई भाजपा से प्रत्याशी रहे हैं और कांग्रेस से राजा देवेन्द्र बहादुर को हार का सामना करना पडा था ।
बसना विधानसभा से 95 प्रतिशत कोलता समाज के लोग भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। ऐसे में एक भी टिकट न देना समाज को लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उनको अनदेखा किया जा रहा है।
बसना विधानसभा क्षेत्र के कोलता समाज के अलावा और भी अन्य समाज के कार्यकर्ता दबे जूबान में पैराशूट लैंडिंग प्रत्याशी का होना उचित नहीं मान रहे हैं।
कोलता समाज के कार्यकर्ताओं का कहना है कि, हमें दुख हुआ, तकलीफ हुई, कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। भाजपा के वो नेता-कार्यकर्ता, जिन्होंने लगातार संघर्ष किया, ऐसे लोगों को ही टिकट मिलना चाहिए।
लगातार हो रहे संभावित प्रत्याशियों के खिलाफ विरोध
बीजेपी ने 21 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट के बाद अब तक दूसरी लिस्ट जारी नहीं की है। सिर्फ कयासों और संभावित नाम को लेकर यह विवाद हो रहा है। कई नामों पर भाजपा के भीतर ही बवाल है। बड़े नेताओं तक शिकायतें की गई हैं। 2 दिन पहले ही छत्तीसगढ़ी फिल्म एक्टर अनुज शर्मा का भी विरोध हुआ था। रायपुर के धरसींवा में उनका पुतला जलाया गया। बीजेपी के पहली सूची में सरायपाली विधानसभा से श्रीमती सरला कोसरिया को उम्मीद्वार बनाये जाने के बाद वहां भी लोग विरोध जता रहे थे एक कद्दावर नेता ने तो नाराज होकर बडी संख्या में अपने समर्थको के साथ पार्टी ही छोड दी ।
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