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Chhattisgarh : लक्कड़बग्घे के हमले से 10 तेंदूपत्ता श्रमिक घायल, 1 पीड़ित रायपुर रिफर



पिथौरा स्वास्थ्य केंद्र में घायलों का उपचार जारी, वन विभाग ने तत्त्कालिक सहायता दी

(News Credit by News Today)

Chhattisgarh Pithora : तेंदूपत्ता तोड़ने गए श्रमिको पर खूंखार वन्य प्राणी लकड़बग्घा ने एक के बाद एक 10 लोगों को जख्मी करता गया। और आगे जंगल की ओर भाग निकला। श्रमिक बताते हैं कि सुबह 6 बजे के लगभग की यह घटना है। इनके साथ इनका पालतू कुत्ता साथ में था। घटना ग्राम छिदौली (पिथौरा) के वन कक्ष क्रमांक 210 की है। गम्भीर रूप से घायल 1 व्यक्ति को रायपुर रिफर किया गया है। पीड़ितों को वन विभाग द्वारा 500 - 500 रुपये की तत्त्कालिक सहायता प्रदान की गई है।


यह हुए घायल


छत्तीसगढ़ का हरा सोना तेंदूपत्ता की तोड़ाई मई माह से प्रारंभ कर दी गई है एवं बीते कल 04 मई को तेंदूपत्ता खरीदी का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसी तेंदूपत्ता को तोड़ने ग्राम छिन्दौली एवं बेल्डीह के सैकड़ों तेंदूपत्ता श्रमिक जंगल गए थे।  सुबह 6 बजे के लगभग यह घटना घटित हुई।  ग्राम छिन्दौली एवं बेल्डीह जंगल के समीप बसा हुआ गांव है। यहीं से तेंदूपत्ता की तोड़ाई की जाती है। घटना के पश्चात सभी 10 पीड़ितों को भुरकोनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उपचारार्थ लाया गया। इनमें से 09 घायलों को पिथौरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया है। यहां उनका उपचार स्वास्थ्य टीम द्वारा किया जा रहा है। 1 घायल भुनेश्वर पिता गणेश 26 वर्ष ग्राम बेल्डीह निवासी को रायपुर रिफर किया गया है। घायलों में किरण / टेकराम 35 वर्ष, कोयल / दयाराम यादव 23 वर्ष, चन्दर सिंह / असारु 33 वर्ष, जानवी / लोकेश 18 वर्ष,  ज्ञानेश्वरी / जयराम 65 वर्ष, घांसिराम / बिसाहू 60 वर्ष, गुंढुल / मुकुंद 65 वर्ष, हीरालाल / सूखा 80 वर्ष, मिनिकेतन / मनबोध 18 वर्ष सभी घायल हैं। घायलों के पैर, हाँथ एवं गले में लकड़बग्घे के 


घर के पालतू जानवर ने फिर दिखाई अपनी वफादारी

जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ते श्रमिक जो भी घायल हुए हैं। सभी 2 गांवों के अलग - अलग परिवारों से सम्बंध रखते हैं। चूंकि तेंदूपत्ता तोड़ने के दौरान जंगल में सभी दूर - दूर बिखरकर पत्ता तोड़ाई का काम करते हैं। अमूमन गांव ग्रामीणों के पास घर में पालतू देशी कुत्ता हुआ करता है। आसपास जाने से वह अपने मालिक के साथ पीछे पीछे चल पड़ता है। श्रमिको के साथ भी कुछ कुत्ते अपने मालिक के साथ गए गए थे। लकड़बग्घा जब श्रमिकों को घायल कर रहा था। तब कुत्ता इन्हें देखकर भोक्ता हुआ लक्कड़बग्घे कि ओर जाता था। तब लकड़बग्घा एक श्रमिक को छोड़कर भागता हुआ दूसरे श्रमिक पर टूट पड़ता था। पालतू कुत्ता तब तक लक्कड़बग्घे का पीछा नहीं छोड़ा जब तक वह जंगल के अंदर आंखों से ओझल नहीं हुआ। इस प्रकार कुत्ते के प्रयास से कोई बड़ी अनहोनी घटना नहीं घटी।

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