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Chhattisgarh : आकस्मिक निधि से RES एवं जनपद के CEO हो रहे लाल



आकस्मिक निधि से आरईएस के ईंई व जनपदों के सीईओ कर रहे फर्जीवाड़ा

वर्ष 2020-21 में आरईएस को मिले 2 करोड़ 93 लाख,जनपद सीईओ को 3 करोड़,

जनपद सीईओ ग्राम पंचायतों को नही दे रहे कंटिनजेंसी का हिस्सा

फर्जी बिलो के माध्यम से राशि का आहरण कर सरकार को लगा रहे करोड़ो का चूना

(News Credit by Patrika)

Chhattisgarh : जगदलपुर बस्तर में सरकारी निर्माण एजेंसियों द्वारा करवाए जा रहे कार्यो में कंटिनजेंसी (आकस्मिक निधी) का खेल लंबे समय से चल रहा है इसके नाम से अफसर लाल हो रहे है सरकार को चूना लग रहा है और पंचायतों में डाका डाला जा रहा है आश्चर्य की बात यह है कि शासन-प्रशासन के नाक के नीचे यह खेल हो रहा है लेकिन इसे रोकने की अब तक कोई सार्थक कोशिश नही की गई है सबसे ज्यादा मनमानी आरईएस (ग्रामीण यांत्रिकी सेवा ) और सीईओ जनपद पंचायत में देखने को मिलती है वर्ष 2020-21 के दौरान आरईएस द्वारा राज्य के सभी जिलों से निर्माण कार्यो से 2 करोड़ 93 लाख 63 हजार की कंटिनजेंसी राशि काटी गई है वही विभिन्न जनपद सीईओ द्वारा ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यो से करीब ढाई करोड़ से अधिक की राशि काटी गई है जिसे सम्बंधित जिलो के कार्यपालन अभियंताओं व जनपद पंचायत के सीईओ द्वारा ही कार्यो के पर्यवेक्षण एवं मजदूरी भुगतान के नाम पर फर्जी तरीके से खर्च बताया जाता है।

शासन का नियम नही, सचिव का आदेश नज़ीर बना
हाल ही में छत्तीसगढ़ विधानसभा में पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव कहा कि आरईएस में निर्माण कार्यो में कंटिनजेंसी काटने का कोई नियम नही है लेकिन वर्ष 2011 में पंचायत सचिव द्वारा कंटिनजेंसी काटने का एक फरमान जारी किया गया था उसी आदेश के तहत यह राशि ली जा रही है पंचायत ग्रामीण विकास के तत्कालीन अति सचिव एच पी किंडो ने आदेशित किया था कि आरईएस द्वारा प्रत्येक निर्माण कार्य मे 3 फीसदी कार्यभारित स्थापना व्यय तथा 2 फीसदी आकस्मिक व्यय वसूल करे ।

लोनोवि,आरईएस एवं सिंचाई विभाग का एसओआर अलग -अलग
राज्य सरकार के अधीन आधा दर्जन निर्माण एजेंसियां है जिनमे लोनिवि,आरईएस,इरिगेशन, हाउसिंग बोर्ड,ट्रायबल विभाग प्रमुख है सभी एजेंसियां हर प्रकार के सरकारी निर्माण करवाती है पर सभी के एसओआर (शेड्यूल ऑफ रेट ) अलग अलग है यही कारण है कि एक ही प्रकार के निर्माण कार्यो के भुगतान की दर अलग-अलग होती है इन सब विभागों में लोनिवि का एसओआर मानक माना जाता है महगाई के अनुपात में विभाग इसे रिवाइज़ भी करते है मगर इसमें भी विभागों में एकरूपता नही रहती है ।
पंचायतों के साथ भेदभाव
सरपंच संघ के प्रदेश सचिव दशरथ नेताम बताते है कि निर्माण कार्यो के प्राक्कलन में सबसे अधिक नुकसान ग्राम पंचायतों को उठाना पड़ता है राज्य सरकार ने 20 लाख तक के निर्माण कार्य ग्राम पंचायतों के करवाने के निर्देश दिए है इसके मद्देनज़र पर्यवेक्षण एजेंसी आरईएस प्राक्कलन बनाने में पंचायतो के साथ भेदभाव करती है मसलन जिस निर्माण कार्य को करवाने के लिए ठेकेदार को 20 लाख का भुगतान किया जाता है उसके लिए ग्राम पंचायतों को 18 लाख का ही भुगतान किया जाता है ग्राम पंचायतों के लिए बनाए गए प्राक्कलन से लाभ वाले प्रावधानों को हटा दिया जाता है यही कारण है कि यह निर्माण कार्य पंचायतो के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है ।

ग्राम पंचायतों को नही मिल रहा कंटिनजेंसी राशि का हिस्सा
कंटिनजेंसी राशि के तहत सीईओ जनपद पंचायतों काटे गए 2 फीसदी आकस्मिक व्यय की राशि मे से एक फीसदी राशि पंचायतो को वापस करने का आदेश छग शासन ने वर्ष 2020 में दिया था बावजूद इसके किसी भी जनपद सीईओ ने राज्य शासन के इस आदेश का अब तक पालन नही किया है ग्राम पंचायतों के हिस्से की राशि जनपद पंचायत के सीईओ हड़प गए है इसको लेकर सरपंचों में काफी आक्रोश है बार बार राज्य शासन से पत्राचार किया जा रहा है पर अब तक कोई निराकरण नही हुआ है । सरपंच संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक साहू ने आरोप लगाया है कि कंटिनजेंसी की राशि के खर्च में भारी घोटाला हुआ है जनपद सीईओ और ई ई आरईएस द्वारा किये गए खर्च की जांच होनी चाहिए । सम्बंधित अफसरों ने सरकार को जमकर चुना लगाया है एक तो फर्जी बिलो के द्वारा लाखो का भुगतान दिखाया है और कार्यो के पर्यवेक्षण के नाम पर स्वयं व कर्मियों को टी ए-डी ए का भी भुगतान करवाया गया है ।

वर्ष 2020-01 में बस्तर संभाग में आरईएस को मिली कंटिनजेंसी की राशि
क्रमांक/जिला/राशि
1 जगदलपुर - 16.58 लाख
2 दंतेवाड़ा - 05.44 लाख
3 सुकमा। - 05.50 लाख
4 बीजापुर - 01.60 लाख
5 कांकेर - 16.01 लाख
6 कोंडागांव - 03.22 लाख
7 नारायणपुर- 01.32 लाख
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योग : 59.48 लाख
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