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बारनवापारा अभयारण्य : ग्रीष्मकाल में वन्यजीवों के आसानी से नजर आने से पर्यटकों में भारी उत्साह

 




ग्रीष्मकाल में इन दिनों जिले के एकमात्र अभयारण्य जिले के गौरव बारनवापारा अभयारण्य में वन्यजीवों के आसानी से नजर आने से पर्यटकों समेत वन्यप्रेमियों में काफी उत्साह है। बीते दो वर्षों से कोरोना संक्रमण की वजह से अभयारण्य में बेहद कम संख्या में ही पर्यटक पहुंचे हैं, परंतु इन दिनों भीषण गर्मी के साथ ही साथ पतझड़ का मौसम होने, भोजन पानी की तलाश में घूमते वन्यजीवों के आसानी से नजर आने से लोगों में उत्साह है तथा बड़ी संख्या में पर्यावरणप्रेमी अभयारण्य पहुंच रहे हैं।

(News Credit by Patrika)

बलौदाबाजार :  ग्रीष्मकाल में इन दिनों जिले के एकमात्र अभयारण्य जिले के गौरव बारनवापारा अभयारण्य में वन्यजीवों के आसानी से नजर आने से पर्यटकों समेत वन्यप्रेमियों में काफी उत्साह है। बीते दो वर्षों से कोरोना संक्रमण की वजह से अभयारण्य में बेहद कम संख्या में ही पर्यटक पहुंचे हैं, परंतु इन दिनों भीषण गर्मी के साथ ही साथ पतझड़ का मौसम होने, भोजन पानी की तलाश में घूमते वन्यजीवों के आसानी से नजर आने से लोगों में उत्साह है तथा बड़ी संख्या में पर्यावरणप्रेमी अभयारण्य पहुंच रहे हैं।

विदित हो कि 1 नवंबर से फिर से जंगलों के गेट खुलने के साथ ही इन दिनों ग्रीष्मकाल में वन्यप्रेमियों के जंगल की सैर के दौरान वन्यजीवों के आसानी से नजर आने से लोगों में उत्साह है। अभ्यारण्य में इन दिनों गौर, भालू, तेंदुआ, हिरण के साथ ही साथ बड़ी संख्या में अलग अलग प्रजातियों के पक्षी नजर आ रहे हैं। ग्रीष्मकाल में जंगल अंदर के छोटे-छोटे पोखर आदि में पानी का स्तर लगातार कम होता जाता है, जिसकी वजह से जिस स्थान पर पानी का बड़ा स्टोर होता है। जैसे तालाब, बड़ी डबरी आदि स्थानों पर वन्यजीव अधिक पहुंचते हैं। भोजन तथा पानी की तलाश में घूम रहे जानवर वर्ष के अन्य सीजन की तुलना में ग्रीष्मकाल में अधिक आसानी से नजर आ रहे हैं। पर्यावरणप्रेमी दिनेश ठाकुर, नीलम दीक्षित आदि ने बताया कि आमतौर पर पतझड़ के सीजन में जंगल सूखा नजर आता है। जानवर भी गर्मी से बेहाल रहते हैं तथा लगातार छांव की तलाश में रहते हैं जिसकी वजह से दूर तक के जानवर आसानी से नजर आ जाते हैं। इन दिनों हिरण, गौर, भालू समेत अन्य वन्यजीव आसानी से नजर आ रहे हैं।

बड़ा पिकनिक स्पॉट है
कसडोल विकासखंड में बारनवापारा अभयारण्य जिले के साथ ही साथ अन्य जिले के पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण है। 243 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैले अभयारण्य में हिरण, सांभर, चीतल, गौर, तेंदुआ, भालू, सोनकुत्ता के अलावा बड़ी संख्या में मोर तथा पक्षियों तथा सरीसृपों की दर्जन भर से अधिक प्रजातियां हैं। अभयारण्य के असनींद, नवागांव, देवपुर आदि वनग्रामों के ब्रिटिशकालीन रेस्ट हाउस के साथ ही साथ पर्यटक ग्राम, मोहदा समेत अन्य स्थानों पर वन विभाग द्वारा योजनाबद्ध तरीके से रेस्ट हाउस, रिसॉर्ट आदि की व्यवस्था की गई है। ऑनलाइन बुकिंग होने के बाद अभयारण्य में रुकने के लिए 8 सौ से 6 हजार रुपए तक के रूम तथा रिसॉर्ट तथा जंगल अंदर घूमने के लिए विशेषज्ञ गाइड के साथ जिप्सी की भी व्यवस्था है। बारनवापारा अभयारण्य ऊंची-ऊंची पहाडिय़ां तथा शांत इलाका पर्यटकों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। अभयारण्य में पर्यटकों के आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र समूह में उछलते चीतल, गौर तथा भालू हैं, जो आसानी से नजर आ जाते हैं। वहीं, अभयारण्य में पर्याप्त मात्रा में तेंदुआ भी हैं, जिन्हे देखने सीजन में बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं।

ऐसे पहुंचे बारनवापारा अभयारण्य
राजधानी रायपुर से करीब 90 किलोमीटर, बिलासपुर से करीब 115 किलोमीटर, महासमुंद से करीब 55 किलोमीटर, बलौदा बाजार से करीब 57 किलोमीटर और कसडोल से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर बारनवापारा अभयारण्य स्थित है। कई शहरों से सडक़ मार्ग द्वारा आसानी से बारनवापारा पहुंचा जा सकता है। पर्यटक बस, कार, टैक्सी या बाइक से यहां तक आसानी से पहुंच सकते हैं। रायपुर से बारनवापारा तक की सडक़ की स्थित अच्छी है। महासमुंद रेलवे स्टेशन करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है। बारनवापारा अभयारण्य के आसपास कई ऐसी जगहें हैं, जहां पिकनिक या घूमने का प्लान बनाया जा सकता है। इनमें तुरतुरिया, छाता पहाड़, सिद्धखोल वॉटरफॉल, देव वॉटरफॉल, तेलई वॉटरफॉल, मातागढ़, कुरुपाठ, सिरपुर और शिवरीनारायण आदि प्रमुख हैं।


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