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Chhattisgarh : कभी ईंट भट्ठा में काम करती थी पदमा, अब टीआई बन कहलाती हैं लेडी सिंघम

 


कभी फिल्मों में पुलिस का किरदार देखकर खुद पुलिस बनकर लोगों की सेवा करने का सपना देखती थी। अपने माता-पिता के साथ ईंट भट्ठे जाकर काम करती। घर का काम करती। लेकिन अपनी मेहनत व काबिलियत से पदमा आज बालोद जिले की महिला इंस्पेक्टर है।

(News Credit by Patrika) 

Chhattisgarh बालोद. कभी फिल्मों में पुलिस का किरदार देखकर खुद पुलिस बनकर लोगों की सेवा करने का सपना देखती थी। अपने माता-पिता के साथ ईंट भट्ठे जाकर काम करती। घर का काम करती। लेकिन अपनी मेहनत व काबिलियत से पदमा आज बालोद जिले की महिला इंस्पेक्टर है। वे बच्चों व महिलाओ से संबंधित मामले सुलझाने व कार्रवाई करने के कारण लोग उन्हें लेडी सिंघम भी कहते हैं। महिलाओं व नाबालिग बच्चों पर हो रहे आत्याचार को रोकने के लिए पदमा ने पुलिस विभाग के साथ मिलकर रक्षा टीम का गठन किया। स्कूल, कॉलेज सहित महिलाओं के पास जाकर खुद की रक्षा करने के तरीके बताए। 4500 से भी अधिक महिलाओं व छात्राओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। महिला दिवस पर मूल रूप से महासमुंद जिले के बसना थाना क्षेत्र के ग्राम भैरवपुर की रहने वाली किसान गुलाल जगत व गणेशी बाई की बेटी व बालोद महिला सेल प्रभारी महिला इंस्पेक्टर 37 वर्षीय पदमा जगत की कहानी।

24 घंटे विभागीय कामकाज में रहती हैं व्यस्त
पदमा जगत होनहार होने के साथ समाजसेवी का काम भी करती है। उन्होंने बताया कि वह बचपन से अभी तक कभी सोई नहीं है। वह रात में भी विभागीय व अपनी निजी कार्य करती हैं। उन्होंने नींद नहीं आने का कारण जानने चिकित्सकों को दिखाया, लेकिन डॉक्टर भी हैरान हैं। उनके मुताबिक शरीर में बचपन से एक ऐसा जीन विकसित है, जिससे नींद नहीं आती।

बचपन से थी कुछ अलग करने की जिद
पदमा जगत ने बताया कि उनका जन्म 27 मार्च 1984 में महासमुंद जिले के ग्राम भैरोपुर में हुआ। आज यह गांव विकसित हो गया है। बचपन में वह कुछ अलग करने की जिद करती थी। उनके माता-पिता व परिजन ज्यादा पढ़ाई न करके सिर्फ घर का काम करने कहते थे। हिम्मत नहीं हारी। पढ़ाई के लिए ईंट भट्ठा में काम किया।

एथेलेटिक्स व एनसीसी में जीता गोल्ड मेडल
पदमा कहती हैं वह पुलिस बनने का अपना सपना पूरा करना चाहती थी। प्राथमिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए गई तो खेल के में भी आगे आई। ऐथलेटिक्स में भाग लिया। स्कूल के दौरान दौड़ में हरियाणा, दिल्ली व जालंधर में नेशनल जीता। एनसीसी में रहकर दिल्ली के राजपथ में शामिल हुई। जहां उन्हें गोल्ड मेडल मिला।
फिल्म हरि वर्दी से मिली प्रेरणा
पत्रिका से चर्चा करते हुए महिला इंस्पेक्टर पदमा जगत ने बताया कि जब वह आठ साल की थी। कक्षा तीसरी में पढ़ती थीं। तभी एक फिल्म देखी, जिसका नाम हरि वर्दी था। पुलिस का किरदार देख व पुलिस वर्दी में लोगों के लिए अच्छे कार्य देख वह प्रभावित हुई और खुद पुलिस बन गई। अब खुद भी लोगों की सेवा कर रही है।
लेडी सिंघम पदमा जगत का पुलिस जीवन में सफर
पदमा जगत साल 2006 में आरक्षक के रूप में रायपुर के हुआ था। उसे इंस्पेक्टर बनने की इच्छा थी। सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित हुई। कुछ कारणों से वह डयूटी ज्वाइन नहीं कर पाई। 2013 में ट्रेनिंग लेने के बाद दुर्ग में परिवीक्षा में रहीं। पहली पोस्टिंग 13 जून 2016 को दल्लीराजहरा के थाने में सब इंस्पेक्टर के रूप में हुई। 16 महीने में ही टीआई के पद पर प्रमोशन मिल गया। वर्तमान में बालोद महिला सेल की प्रभारी है।

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