Ad Code

Responsive Advertisement

Chhattisgarh : राजस्व अधिकारियों का कारनामा: 9 करोड़ की सरकारी जमीन का फर्जीवाड़ा कर निजी नाम से किया दर्ज, फिर चला खेल

आयुक्त के आदेश के विरूद्ध छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल को गलत तथ्यों के आधार पर पुनरीक्षण आवेदन किया गया। इसके आधार पर अध्यक्ष राजस्व मंडल ने 04 मार्च 2010 को उक्त जमीन को निजी कृषक के नाम पर दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया।

(News Credit by Patrika)

एक्सक्लूसिव: रायपुर  रायपुरा में दस साल पहले जो जमीन सरकारी खाते में दर्ज थी, उसे निजी भूमि में दर्ज करने का बड़ा खेल उजागर हुआ है। अब उस जमीन की कीमत 9 करोड़ रुपए बताई जा रही है। रायपुरा में रसूखदार भू-माफिया द्वारा पटवारी हल्का क्रमांक 57 स्थित 8.66 एकड़ जमीन को अनाधिकृत रूप से नाम पर दर्ज करा लिया गया है। अब उसी जमीन का सीमांकन कराने के लिए तहसील रायपुर से आम सूचना भी प्रकाशित कराई गई है। खसरा नं. 59 रकबा 1.461 हेक्टेयर तथा खसरा नं. 76/1 रकबा 2.046 हेक्टेयर, कुल रकबा 3.507 हेक्टेयर (लगभग 8.66 एकड़) अधिकार अभिलेख से वर्ष 2009-10 तक घास भूमि के रूप में दर्ज थी। अधिकारियों ने फर्जीवाड़ा करते हुए निजी नाम पर पूरी जमीन को दर्ज कर दिया। यह पूरा खेल एक कंपनी के नाम पर जमीन दर्ज करने के लिए किया गया।

नामांतरण कराने के बाद चला भू-माफियाओं का चला खेल
भू-माफिया द्वारा 04 जून 2010 को किसान लतेलू वगैरह से अपने नाम पर पूरी जमीन की रजिस्ट्री करवा लिया। जिसके केवल 5 दिनों वाद ही 9 जून 2010 को पुन: तत्कालीन तहसीलदार से अपने नाम पर नामांतरण भी करवा लिया। इससे साफ है पूरा खेल तत्कालीन तहसीलदार की मिलीभगत से उक्त माफिया तत्वों द्वारा बेशकीमती शासकीय भूमि को हड़प लिया गया।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
भू-माफिया द्वारा लतेलू वगैरह के नाम पर कास्त कब्जा आधार पर भूमि-स्वामी हक की मांग की गई, जिसे संभागायुक्त के 30 जून 2008 को जारी आदेश को खारिज कर दिया गया। आयुक्त के आदेश के विरूद्ध छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल को गलत तथ्यों के आधार पर पुनरीक्षण आवेदन किया गया। इसके आधार पर अध्यक्ष राजस्व मंडल ने 04 मार्च 2010 को उक्त जमीन को निजी कृषक के नाम पर दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद 23 अप्रैल 2010 को तत्कालीन तहसीलदार द्वारा सिर्फ राजस्व मंडल के आदेश के आधार पर बिना किसी शासकीय प्रक्रिया का पालन किए आनन फानन में संपूर्ण 8.66 एकड़ शासकीय भूमि को निजी नाम पर दर्ज करने का आदेश कर दिया।

हाईकोर्ट ने लगा दिया स्टे, तहसीदार ने कर दिया नामांतरण
राजस्व मंडल के आदेश के विरूद्ध कलेक्टर रायपुर रिट याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई। इस पर हाईकोर्ट ने 29 नवंबर 2010 को कलेक्टर की याचिका पर राजस्व मंडल के आदेश पर स्टे लगा दिया था। हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी भू-माफियाओं नें तत्कालीन तहसीलदार ने पूरी शासकीय भूमि को लतेलू वगैरह के नाम पर नामांतरण कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने 10 जनवरी 2012 को आदेश जारी करके राजस्व मंडल के आदेश को निरस्त करते हुए उक्त भूमि को शासकीय मद में ही रखने का आदेश पारित किया। हाईकोर्ट के आदेश के बादभी राजस्व अधिकारियों उक्त जमीन पर शासन के रेकार्ड को नहीं सुधारा गया। अब शासकीय भूमि इंडलेस विनियम प्रा.लि., हावड़ा के नाम पर अभिलेखों में दर्ज है।


तत्कालीन तहसीलदार द्वारा नामांतरण में इस नियम का उल्लंघन
- निस्तार पत्रक में परिवर्तन के लिए एसडीएम से अनुमति एवं संशोधन नहीं लिया गया। आज भी उक्त भूमि निस्तार पत्रक में शासकीय भूमि मद में दर्ज है।

- भूमि के लगान का निर्धारण किए बगैर आनन फानन में निजी नाम पर नामांतरण कर दिया गया। किसी भी भूमि के लगान के निर्धारण का अधिकार केवल कलेक्टर को है।

- कलेक्टर की अनुमति एवं अनुमोदन के बिना शासकीय भूमि का लगान निर्धारण किया गया और निजी नाम पर चढ़ा दिया गया।


मामले की शिकायत मिली है। इसकी जांच के लिए एसडीएम को कहा गया है। यदि शासकीय भूमि है तो वापस से शासकीय नाम में दर्ज की जाएगी।

- सौरभ कुमार, कलेक्टर, रायपुर 




Ad code

1 / 7
2 / 7
3 / 7
4 / 7
5 / 7
6 / 7
7 / 7

ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer ad inner footer

Ad Code

Responsive Advertisement