मध्यप्रदेश के सैकडों छात्र यूक्रेन MBBS की पढ़ाई करने गए हैं।.लेकिन अब उनकी जान पर बन आई है।जिसे लेकर छात्रों के परिजन बेहद परेशान हैं।और वो सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ के भी 135 लोगों के फंसे होने की खबर सामने आ चुकी है। इनमें से अधिकतर स्टूडेंट्स है। हर बीतते दिन के साथ उनकी तकलीफ भी बढ़ती जा रही है, क्योंकि बाजार में खाने पीने की सामान नहीं मिल रहा है। ग्रॉसरी स्टोर बंद है। एटीएम से पैसे निकल नहीं रहे है। लोग घर या हॉस्टल को छोड़ ज्यादातर समय बंद बंकर में बिता रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दिल्ली में तैयार हेल्पडेस्क पर लोग लगातार संपर्क कर उन्हें निकलवाने की गुहार लगा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी विदेश मंत्री से बात कर जल्द यहां के लोगों के रेस्क्यू करने की मांग कर चुके है।
दिल्ली हेल्प डेस्क के नोडल अधिकारी गणेश मिश्र बताते हैं कि फिलहाल उन्हीं लोगों का रेस्क्यू हो पा रहा है, जो लोग यूक्रेन से निकलकर रोमानिया, स्लोवाक जैसे पड़ोसी देशों की सीमा तक पहुंच रहे हैं। यहां पर मौजूद भारतीय दूतावास अधिकारी सभी इंडियन की पहचान कर उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा रहे हैं. इसमें एक और संकट जुड़ गया है.पड़ोसी देशों की सीमा पर जहां पर यूक्रेन की पुलिस लोगों को रोक रही है. वहां टेंपरेचर भी माइनस 10 के करीब है। सबसे ज्यादा मुश्किल कीव और आसपास के शहरों में रहने वालों को हो रही। जहां लगातार बमबारी हो रही है। इन शहरों से निकलकर बॉर्डर तक पहुंचने में हमेशा जान का खतरा बना हुआ है। अगर कोई इस जोखिम को लेना भी चाहे तो टैक्सी का ख़र्च इतना ज्यादा ही कि लोग वहन नही कर पा रहे है। भारत सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है कि लोग समूह में एक साथ बाहर निकले और अपनी गाड़ी पर भारत का राष्ट्र ध्वज तिरंगा जरूर लगाकर रखें।
अब तक की जानकारी के मुताबिक जितने लोगों को रोमानिया और दूसरे देशों के माध्यम से बाहर निकाला गया है। हेल्प डेस्क के नोडल अधिकारी का कहना है कि जो भी लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं वो बस उन्हें आश्वासन दे पा रहे हैं, क्योंकि उन तक मदद पहुंचाने का फिलहाल कोई चैनल उपलब्ध नहीं है। अगर युद्ध विराम होता है या फिर लोग निकलकर बॉर्डर तक पहुंच जाते हैं तभी उनका रेस्क्यू अभी संभव है।
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