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सरायपाली : पिता - पुत्र मिलकर दुसरों की बीमारी को 'झाड़-फूंक' से करते हैं इलाज, खुद बिमार होने पर भागते हैं अस्पताल

 


 रूपानंद सोई 94242 - 43631 


पिता-पुत्र दोनों झोलछाप डॉक्टर हैं पिछले कई सालों से झाड़-फूंक से भी इलाज का ढोंग कर रहे हैं। मजे की बात ये है कि जब वे खुद बीमार होते हैं तो सीधा डॉक्टर के पास भागते हैं ।

मिली जानकारी अनुसार सरायपाली से भंवरपुर मार्ग में महज 7 किलोमीटर की दुरी पर स्थित एक गांव में विगत कई सालों से पिता-पुत्र दोनों मिलकर मरीजों का इलाज करते हैं, इनके पास चिकित्सा से संबंधित किसी प्रकार की वैधानिक अधिकार नहीं है फिर भी बेखौफ होकर मरीजों को महंगी-महंगी ऐलौपेथिक  दवाईयां देकर इंजेक्शन भी लगाते हैं । साथ में झाड-फूंक कर केवल टाइफाइड बुखार का इलाज का दावा करते हैं । इसके एवज में मोटी रकम वसुलते हैं । 

मरीज के सिर से पैर तक हाथ फेर कर फूंक मारकर टाइफाइड बुखार इलाज करने का दावा करते हैं। पहले मरीज के सिर में हाथ रखकर झाड़-फूंक की शुरूवात करते हैं उसके बाद हाथ सीना एवं पेट से पैर तक सहलाते हुए बिमारी को छूमंतर करने का पाखंड करते हैं । 

इन पिता-पुत्र का आंडबर ऐसा है कि लोग इसके झांसे में आ जाते हैं। वह लोगों के दुख-दर्द का फायदा उठाकर उन्हें अपने मायाजाल में ऐसा फंसाते हैं कि वो इसकी हर बात को पत्थर की लकीर मानते हैं । उसके बाद इंजेक्शन लगाकर ऐलोपैथिक की कुछ दवाईयां देकर एक मोटी रकम वसुलते हैं ।

इसी तरह दुर -दुर से लोग इनके पास केवल टाइफाइड बुखार का इलाज कराने आते हैं, जिसमें बच्चे महिलाऐं एवं बुजर्ग सब सामिल हैं । हाल ही में देवरी क्षेत्र के एक परिवार के चार बच्चों को बुखार हो गया । इन चारों बच्चों को उनके परिजन इन पिता-पुत्र के पास इलाज कराने ले गये जहां इन चारो बच्चों को पहले फूक-झाड किया गया उसके बाद इंजेक्शन लगाया गया । इंजेक्शन लगाने के बाद इन बच्चों को लिवोसेट्रीजिन, असक्लोफेनेक, पेरासीटामॉल, सेराटियोपेप्टीडस एवं सेफेक्सीम की गोलियां साथ में मेडीझाइम नाम के एक सिरप दे कर मोटी रकम वसुला गया । 



इन बच्चों को परिजन घर लाकर दवाइयां देना शुरू की तब सबसे छोटा बच्चा लगभग 5 साल का उसका तबियत और बिगडने लगा तभी परिजन बच्चों को दवाइयां देना बंद कर के किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज कराये हैं।

खुद बिमार होने पर भागते हैं अस्पताल
ग्रामीणों के बताऐ अनुसार इन झोलाछाप डॉक्टर के परिवार के कीसी भी सदस्य अगर बीमार होते हैं तो भागे-भागे सीधे अच्छे अस्पताल में जाते हैं और इलाज कराते हैं । ये लोग झाड-फूक कर इंजेक्शन लगाकर दुसरो का इलाज करते हैं । 

इस अवैध कारोबार में महिने में कई लाख रूपये मुनाफा, शासन-प्रशासन मौन 
फूक-झाड कर इंजेक्शन दवाइयां देने के बाद एक मरीज से हजार रूपये से अधिक वसुलते हैं । प्रतिदिन लगभग 30 से 40 मरीजो का इलाज किया जाता है । इसी तरह लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड कर महिने में पिता-पुत्र की कमाई कई लाख रूपये है । सरायपाली मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर के अंदर ये अवैध धंधा फल फूल रहा है फिर भी शासन - प्रशासन को भनक तक नहीं है ।

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