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Raipur News : दो महीने में चार लाख रुपये का पानी पी गए भैंसे, खाने का बिल देखकर हो जाएंगे हैरान, जानें क्यों मिल रही है VIP सुविधा
छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण में असम से लाए गए दो भैंसों ने 4 लाख रुपए से ज्यादा का पानी पी लिया है। यह भैंसे असम से लाए गए थे। आरटीआई में इस बात का खुलासा किया गया है। इनके खाने के लिए एक साल में 40 लाख रुपए का बजट जारी किया गया है।
हाइलाइट्स
दो वन भैंसे दो माह में पी गए 4 लाख 60 हजार का पानी
6 वन भैंसे 40 लाख का करते है हर साल भोजन
इन भैंसे को केवल देख सकते हैं VIP लोग
आरटीआई में हुआ खुलासा, खाने का बजट 40 लाख
रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनोखा मामला सामने आया है। दो वन भैंसे को वीआईपी सुविधा मिल रही है। ये भैंसे साल 2020 में असम से छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण से लाए गए थे। इन भैंसों की देखरेख लाखों रुपये महीने खर्च हो रहे हैं। इस बात का खुलासा आरटीआई में हुआ है। ये भैंसे दो महीने में चार लाख रुपए से ज्यादा का पानी पी चुके हैं जबकि इनके खाने के लिए एक साल के 40 लाख रुपये जारी किए गए हैं। अभ्यारण में पहले दो भैंसे लाए गए थे जिसमें एक मादा और एक नर था बाद में 4 और भैंसे इस अभ्यारण में लाए गए।
आरटीआई में खुलासा हुआ है कि यहां इन भैंसों को पानी पिलाने की व्यवस्था के लिए 4 लाख 56 हजार 580 रुपये का बजट दिया गया था। जब यह बारनवापारा लाए गए तब उनके लिए रायपुर से 6 नये कूलर भेज गए थे। 2023 में चार और मादा वन मादा भैंसे असम से लाये गए। तब एक लाख रुपये केवल खस के लिए दिए गए, जिस पर पानी डाल करके तापमान नियंत्रित रखा जाता था।
लाने में करीब 58 लाख रुपये का खर्च
वन भैंसे को असम से परिवहन करके लाने में 58 लाख जारी किए गए थे। वर्ष 19-20 से लेकर 20-21 तक बारनवापरा के प्रजनन केंद्र के निर्माण और रखरखाव के लिए एक करोड़ साठ लाख रुपए जारी किए गए। आरटीआई दस्तावेज के अनुसार, सिर्फ 23-24 में बारनवापारा में 6 वन भैंसों के भोजन में चना, खरी, चुनी, पैरा कुट्टी, दलिया और घास के लिए 40 लाख रुपए जारी किए गए थे।
जानिये कैसे करेंगे वंश वृद्धि
रायपुर के वन्य जीव प्रेमी और आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन सिंघवी ने आरोप लगाया कि यह प्लान बना था कि असम से वन भैंसे लाकर, छत्तीसगढ़ के वन भैंसे से प्रजनन करवाकर वंश वृद्धि की जाएगी लेकिन छत्तीसगढ़ में शुद्ध नस्ल का सिर्फ एक ही नर वन भैंसा ‘छोटू’ उदंती सीता-नदी टाइगर रिजर्व में बचा है, जो कि बूढा है और उम्र के अंतिम पड़ाव पर है, उसकी उम्र लगभग 24 वर्ष है।
वन भैंसों की अधिकतम उम्र 25 वर्ष होती। बुढ़ापे के कारण छोटू से प्रजनन कराना संभव नहीं दिखा तो जिसके बाद प्रजनन के लिए सीमन का प्लान बनाया गया। इसकी तैयारी में लाखों रुपए खर्च किए गए। सिंघवी ने आरोप लगाया कि पहले दिन से ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के गुप्त प्लान के अनुसार इन्हें आजीवन बारनवापारा अभ्यारण में बंधक बनाकर रखना चाहते हैं।
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