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Best Tourist Site in Chhattisgarh : छत्तीसगढ के मैनपाट में बर्फ जमना शुरू, जानिए यहां के पर्यटन स्थल

 



Credit ndtv

छत्तीसगढ़ के 'शिमला' में लुढ़का पारा, मैनपाट में बर्फ जमना शुरू, जानिए यहां के पर्यटन स्थल

Chhattisgarh Latest News : मैनपाट में केवल पहाड़,नदी, झरने, जंगली जानवर ही नहीं, यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का आलू अनुसंधान केंद्र, चाय बागान के साथ छत्तीसगढ़ पुलिस की ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित की गई है. मैनपाट को छत्तीसगढ़ का तिब्बत (Tibet of Chhattisgarh) भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से प्रख्यात मैनपाट विंध्य पर्वतमाला पर स्थित है इसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है, जबकि लंबाई 28 किलोमीटर वहीं चौड़ाई 10 से 13 किलोमीटर है

अम्बिकापुर Best Tourist Site in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के शिमला (Shimla of Chhattisgarh) कहे जाने वाले में मैनपाट (Mainpat) में इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, सर्दी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब मैनपाट के तराई क्षेत्र में बर्फ भी जमने लगी हैं. न्यूनतम तापमान (Minimum Temperature) की बात करें तो आज 3.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान जा पहुंचा है. यही कारण है कि इन क्षेत्रों में अब शाम होते ही सन्नाटा छा जाता है. वहीं दूसरी ओर इस सर्द खुशनुमा मौसम में अब मैनपाट में सैलानियों (Tourists) का आना भी शुरू हो गया है. 25 दिसंबर आते-आते यहां पर सैलानियों की काफी भीड़ हो जाती है. दरअसल मैनपाट सरगुजा जिले का हिल स्टेशन (Hill Station) है, चारों तरफ पहाड़ों व वनों से घिरे होने व नदियों के कारण यहां 12 माह मौसम खुशनुमा रहता है, लेकिन सर्दी के दिनों में यहां तापमान लुढ़कते हुए -1 डिग्री तक पहुंच जाता है.



दो नदियों का उदगम व बौद्ध मंदिर आकर्षण का केंद्र
मैनपाट को छत्तीसगढ़ का तिब्बत (Tibet of Chhattisgarh) भी कहा जाता है. वैसे तो मैनपाट (Mainpat Tourist Destination) अपने घने जंगलों जंगली जानवरों व बौद्ध धर्म के मठों व नदियों से प्रदेश और देश भर में जाना जाता है. लेकिन इन सबसे महत्वपूर्ण बात यहां है कि यहां दो नदियों का उदगम स्थल है. यहां रिहन्द व मांड नदी है जोकि पहाड़ों की चट्टानों करे चीरकर मैदानी क्षेत्र में अपने विशाल स्वरूप दिखती हैं. बौद्ध मंदिरों (Budha Temple Mainpat) की खूबसूरती व हवा में उड़ते हुए उनके धार्मिक झंडा इस क्षेत्र की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. आपको बता दें कि 70 के दशक में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने तिब्बती शरणार्थियों (People of Tibbet) को यहां पर ना सिर्फ बसाया बल्कि उन्हें खेती योग्य जमीन भी दी आज भी मैनपाट में सबसे ज्यादा निवास करने वाले तिब्बती लोग हैं.

चाय के बागान, आलू अनुसंधान केंद्र व पीटीएस भी
मैनपाट में केवल पहाड़, नदी, झरने, जंगली जानवर ही नहीं बल्कि बेहतर सड़के भी हैं. वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के बाद से यहा के विकास में राज्य सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. अब मैनपाट पहुंचने के लिए न सिर्फ चौड़ी पक्की सड़के हैं बल्कि यहां पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का आलू अनुसंधान केंद्र ,चाय बागान के साथ छत्तीसगढ़ पुलिस की ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित की गई है जो की मैनपाट को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एक प्रभावी कदम माना जाता है बल्कि अब मैनपाट में लोगों का आना पहले से ज्यादा हो गया है.


छत्तीसगढ़ की सबसे चौड़ी व लम्बी पर्वत है मैनपाट
छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से प्रख्यात मैनपाट विंध्य पर्वतमाला पर स्थित है इसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है, जबकि लंबाई 28 किलोमीटर वहीं चौड़ाई 10 से 13 किलोमीटर है. यह पर्वतमाला एक ओर कोरबा जिला को तो दूसरी ओर रायगढ़ व जशपुर जिले को छूती है. मैनपाट का पहाड़ पूरा बॉक्साइट का है, जिसमें एलमुनियम की मात्रा 80 प्रतिशत माना जाती है. यही कारण है कि काफी वर्षों तक इस पहाड़ का दोहन बॉक्साइट के रूप में किया गया है, जिससे इसके अधिकांश पहाड़ खोखले हो गए हैं. लेकिन कुछ वर्षों से बॉक्साइट उत्खनन का काम बंद है जिसके कारण खोखले हो चुके पहाड़ों में पानी भरा हुआ है.

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