हाईकोर्ट : एकल पीठ ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकारी- 6 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश
(News Credit by Patrika)
मामले में वकील हर्षवर्धन परगनिहा ने पूर्व सीएम के पुत्र पूर्व सांसद अभिषेक सिंह के संबंध में भी कुछ नए पेपर जमा किए। इसमें यह बताया गया कि अभिषेक सिंह और अभिषाक सिंह के नाम पर दो पैन कार्ड है, जिससे संपत्ति का लेनदेन हुआ है, फिर भी उनकी ओर से इसे दुरुस्त करने के लिए कोई पहल नहीं की गई। इस आधार पर अभिषेक सिंह को भी पक्षकार बनाने की मांग की। इस पर अगली सुनवाई में निर्णय होगा। शुक्रवार (8 अप्रैल) को याचिका के एडमिशन पर बहस हुई। याचिकाकर्ता के एडवोकेट के साथ ही राज्य शासन व रमन सिंह की दलीलों को भी सुना गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आर्डर रिजर्व रखा था। सोमवार को कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया।
यह है आरोप
याचिकाकर्ता ने बताया कि सांसद बनने के बाद अभिषेक सिंह की संपत्ति में भारी इजाफा हुआ। उनका नाम पनामा पेपर्स में भी था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी उनके खिलाफ शिकायत को जांच के लिए राज्य शासन को भेजा था। परिवार के पास कोई खास आय का स्रोत नहीं है। मगर चुनावी शपथ पत्र में सोना, जमीन, और लाखों रूपए की जानकारी दी थी। मगर ये सब आया कहां से इसकी जानकारी नहीं है। अभिषेक सिंह ने अपने पिता, और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रभाव के चलते काफी संपत्ति अर्जित की है। यह उनके द्वारा चुनाव लड़ते समय आयोग को दिए हलफनामे से कहीं ज्यादा है। तिवारी ने ईओडब्ल्यू से अभिषेक सिंह की संपत्ति की जांच की मांग की है। याचिकाकर्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह दोहरी पहचान रखते हैं। इस पहचान के जरिए उन्होंने तीन कंपनियां बनाई हैं और कई करोड़ रुपए का निवेश किया है। इन कंपनियों में से प्रत्येक की गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं और संबंधित अधिकारियों द्वारा जांच की जरूरत है।
इस तरह काम किया कथित कंपनियों ने
याचिकाकर्ता ने बताया कि संभावित गलत कामों के स्पष्ट संकेतों के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह एक रहस्य है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी इंटीग्रेटेड टेक-इंफ्रा बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड में अभिषेक सिंह ने विदेशी मुद्रा में पहले वर्ष में ही करोड़ों मूल्य के अपने शेयर बेचने से पहले, 90 फीसदी से अधिक हानि पर असामान्य लाभ अर्जित किया। एक अन्य शैले एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड में विभिन्न संदिग्ध निवेश-कई करोड़ों-के स्रोतों से किए गए थे। जिनका अभी तक पूर्ण रूप से खुलासा नहीं किया गया है। सिंह और उनकी पत्नी के स्वामित्व वाले मूल्यवान शेयरों को उनके मूल्य के एक छोटे से अंश पर बेचा गया था। तीसरी कंपनी-मुशिन इंफ्रंास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड- और संबंधित कंपनियों पर एक नजदीकी नजर डालने से क्रॉस निवेश का पता चलता है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से शामिल धन के वास्तविक स्रोतों को छिपाना है। यहां भी हम कंपनियों में शेयरों की बिक्री को 97 फीसदी तक की अकथनीय हानि पर देखते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि व्यापार रसीदें बड़ी मात्रा में चल रही हैं, उनके पीछे के विवरण की आपूर्ति नहीं की गई है। इनमें से कम से कम दो कंपनियों की फेमा उल्लंघन के लिए जांच की जानी चाहिए।
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