अगले कुछ सालों में हम सभी पर क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन का बहुत बुरा असर पड़ने वाला है
(News Credit by Janta se rishta)
अगले कुछ सालों में हम सभी पर क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन का बहुत बुरा असर पड़ने वाला है। हाल ही में संयुक्त राष्ट (UN) की इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की नई रिपोर्ट रिलीज हुई है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, क्लाइमेट चेंज के कारण भारत में कृषि उत्पादन में बड़े पैमाने पर कमी आने वाली है। इसके साथ ही तटीय इलाकों में बाढ़ और तूफान का खतरा बढ़ेगा। देश में गर्मी और लू का बढ़ना भी तय है।
भारत के उत्तरी और तटीय इलाके मुसीबत में
IPCC रिपोर्ट को तैयार करने वालों में शामिल प्रोफेसर अंजल प्रकाश कहते हैं कि साल 2050 तक भारत की 87.7 करोड़ आबादी शहरों में होगी। ये साल 2020 की तुलना में दोगुनी है। इस कारण इन जगहों पर क्लाइमेट चेंज का खतरनाक रूप देखने को मिलेगा।
बड़े शहरों जैसे अहमदाबाद, चेन्नई, लखनऊ, पटना और भुवनेश्वर में तापमान जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगेगा। यहां भयावह गर्मी और लू का खतरा मंडराएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी कार्बन उत्सर्जन में कटौती नहीं की गई तो देश के उत्तरी और तटीय इलाके मुसीबत में आ जाएंगे।
भारत में 7,500 किलोमीटर लंबा तटीय इलाका है। मुंबई, गोवा, ओडीशा जैसे इलाकों में समुद्र का स्तर ऊपर जाने के कारण बाढ़ और चक्रवाती तूफानों का खतरा मंडराएगा। साल 2050 तक देश की करीब 3.5 करोड़ आबादी तटीय बाढ़ का सामना करेगी।
कृषी उत्पादन घटेगा
IPCC रिपोर्ट में ये अनुमान लगाया गया है कि भारत में 1-4 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से चावल का उत्पादन 10 से 30 प्रतिशत तक, जबकि मक्के का उत्पादन 25 से 70 प्रतिशत तक घट सकता है। कृषि उत्पादन भारत समेत पूरे एशिया, अफ्रीका, मध्य व दक्षिण अमेरिका और आर्कटिक क्षेत्र के लघु द्वीपीय देशों में कम होगा।
टेक्नोलॉजी कोई वरदान नहीं
IPCC रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने ऐसी कई तकनीकें विकसित की हैं जो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड घटाने की जगह बढ़ा रही हैं। कुछ मशीन्स वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को खींच लेती हैं। इन्हें कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब ये सामने आया है कि वातावरण पर इनका उल्टा प्रभाव पड़ता है।
दुनिया की 40% आबादी खतरे में
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की 40% आबादी क्लाइमेट चेंज के बुरे प्रभावों के खतरे में है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्रीनलैंड की बर्फ से लेकर समुद्र की कोरल रीफ तक, सब जल्दी-जल्दी तबाह हो रहा है। IPCC द्वारा पहले किए गए आकलन की तुलना में यह काफी ज्यादा तेजी से हो रहा है।
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