जागरूकता के अभाव में महिलाएं प्रताड़ना सहने मजबूर है : अधिवक्ता बजरंग अग्रवाल
श्री अग्रवाल पिथौरा कालेज में महिलाओं से सम्बंधित कानूनों पर व्याख्यान दे रहे थे
रायपुर : घरेलु हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम महिलाओं के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है । चारदीवारी के बीच घरों में रह कर काम कर रही महिलाओं पर जब अत्याचार बढ़ने लगा तो इस कानून को अमलीजामा पहनाया गया है। यह कानून महिलाओं को घरेलू हिंसा के खिलाफ बोलने का अधिकार देता है। लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण ही ज्यादातर महिलाएं इस कानून से अनभिज्ञ हैं। इसलिए वे चुपचाप घरेलू हिंसा को सहती रहती हैं। महिलाओं को अपने अधिकारों कानूनों के प्रति जागरूक होना चाहिए। उपरोक्ताशय के विचार स्थानीय अधिवक्ता बजरंग अग्रवाल ने चन्द्रपाल डड़सेना महाविद्यालय पिथौरा में आयोजित महिलाओं हेतु विधिक जागरूकता कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किये ।
महाविद्यालय के आंतरिक परिवाद समिति के द्वारा यह कार्यक्रम रखा गया था । इस अवसर पर व्यख्यान हेतु मुख्य वक्ता के रूप में अधिवक्ता श्री अग्रवाल को आमंत्रित किया गया था ।
निःशुल्क विधिक सेवा प्राप्त करेंउन्होने निःशुल्क विधिक सेवा एवं सहायता कानून के बारे में भी विस्तार से बताया और कहा कि प्रत्येक ऐसी महिला जिन्हें कानून में मदद की आवश्यकता है वह किसी भी न्यायालय में जाकर निशुल्क कानूनी लाभ प्राप्त कर सकती हैं ।
पुत्र की भांति पुत्रियों का भी समान अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के बारे में भी विस्तार से बताते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि पैतृक संपत्ति पर पुत्र की भांति पुत्रियों का भी हक है । वर्ष 2005 में संसोधित हो कर प्रभाव में इस कानून के प्रति महिलाओं में जागरूकता आई है तथा महिलाएं अपने हकों के लिए लड़ने लगी हैं ।
दहेज प्रताड़ना की आड़ में झूठी रिपोर्ट लिखाने से बचना चाहिए
दहेज प्रताड़ना के संबंध में भी उन्होंने उपस्थित छात्र छात्राओं को जानकारियां दी,और कहा कि दहेज के कानून का बहुत हद तक दुरुपयोग हो रहा था इस कारण से अब दहेज से सम्बंधित किसी भी मामले में बारीकी से जांच होने लगी है । उन्होंने सलाह दी कि इस कानून का दुरुपयोग ना होने पाए इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए अगर कोई महिला वास्तव में दहेज के लिए पीड़ित है तो उसे आगे आकर रिपोर्ट लिखना चाहिए जिससे कि दोषी को सजा हो सके ।
बिना लाइसेंस के न चलायें मोटरयान
श्री अग्रवाल ने मोटर यान अधिनियम के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि मोटरयान का उपयोग करने वाले प्रत्येक चालक के पास वैध लाइसेंस तथा वाहन का बीमा एवं वाहन से संबंधित समस्त औपचारिक सम्पूर्ण दस्तावेज होने चाहिए उसके अभाव में अगर कहीं पर कोई घटना दुर्घटना होती है तो वाहन स्वामी की जिम्मेदारी होती है क्षति धन की अदायगी के लिए वाहन चालक एवं उसका स्वामी संयुक्त रूप से जिम्मेदार होता है । कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संस्था के प्राचार्य श्री एसएस तिवारी ने इतिहास की जानकारी देते हुए उस समय के बने कानूनों के बारे में बताया तथा मुख्य वक्ता का परिचय भी कराया । कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापिका ने किया तथा आभार प्रदर्शन महाविद्यालय के प्राध्यापक श्री एस एस दीवान ने करते हुए रात्रि के समय महिलाओं को कार्य कराने हेतु शासन के द्वारा बनाए गए मापदंडों की जानकारी दी ।
छात्र छात्राओं के प्रश्नों के उत्तर दे कर जिज्ञासा शांत किया
एक छात्र ने महिलाओं पर अत्याचार के संबंध में प्रश्न करते हुए कहा कि अगर कोई महिला के विरुद्ध 2 साल पहले कोई घटना घटित हुई है तो क्या वह रिपोर्ट लिखा सकती है ? इस पर उन्होंने उनकी जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा कि अपराध एक बार घटित होने के बाद वह समाप्त नहीं होती है उसकी रिपोर्ट कभी भी लिखाई जा सकती है । इस दौरान छात्र छात्राओं ने विभिन्न विषयों पर कानूनी प्रश्न किए जिसकी बखूबी उत्तर श्री अग्रवाल ने देते हुए प्रश्न पूछने वाले छात्र-छात्राओं की जिज्ञासाओं को शांत किया ।
पुलिस रिपोर्ट ना लिखे तो क्या करें ?
यह सवाल कई छात्र-छात्राएं कर रहे थे जिस पर श्री अग्रवाल ने कानूनी पक्ष बताते हुए कहा कि अगर पुलिस रिपोर्ट नहीं लिखती है तो उसकी सूचना लिखित में पुलिस अधीक्षक को की जानी चाहिए, फिर भी कोई कार्यवाही नहीं होती है तो क्षेत्राकार वाले न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर न्याय प्राप्त किया जा सकता है ।
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